राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने आज कहा कि भारत के पास मानव अधिकारों के उल्लंघन के मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक अद्वितीय संस्थागत तंत्र है जिसमें सात अन्य राष्ट्रीय आयोगों और इसके मानद सदस्यों के अलावा एनएचआरसी...



राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने आज कहा कि भारत के पास मानव अधिकारों के उल्लंघन के मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक अद्वितीय संस्थागत तंत्र है जिसमें सात अन्य राष्ट्रीय आयोगों और इसके मानद सदस्यों के अलावा एनएचआरसी का व्यापक अधिकार क्षेत्र है

नई दिल्ली, 23 मई, 2023

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने आज कहा कि भारत के पास मानव अधिकारों के उल्लंघन के मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक अद्वितीय संस्थागत तंत्र है जिसमें समाज के विशिष्ट कमजोर वर्गों की अधिकार-आधारित शिकायतों को देखने के लिए सात अन्य राष्ट्रीय आयोगों और इसके मानद सदस्यों के अलावा एनएचआरसी का व्यापक अधिकार क्षेत्र है।

उन्होंने कहा कि विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार मंचों में भाग लेने और उन्हें संबोधित करने के दौरान उन्होंने इस तथ्य को महसूस किया कि भारत को इसकी समग्र प्रगति, और इसके लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ-साथ उन्नति के लिए नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, जो दुनिया में सबसे अच्छे हैं। निस्संदेह कुछ सुधारों की आवश्यकता हो सकती है लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जिस तरह के वादविवाद भारत में होते हैं,और कहीं सुनने को नहीं मिलते ।

न्यायमूर्ति मिश्रा सात राष्ट्रीय आयोगों के अध्यक्षों, जो इसके पदेन सदस्य हैं और प्रतिनिधियों की सांविधिक पूर्ण आयोग की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। इसका उद्देश्य मानव अधिकारों का संवर्धन और संरक्षण की दिशा में आयोग के बीच तालमेल और आपसी सहयोग को बढ़ाना था और उस दिशा में सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना था।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि प्रत्येक राष्ट्रीय आयोग अपने अधिकार क्षेत्र में मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए अथक प्रयास कर रहा है। सभी आयोगों और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के काम के बीच और अधिक तालमेल बनाने की आवश्यकता है ताकि देश में अधिकार-आधारित संस्कृति का माहौल बनाया जा सके, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों का लगातार समर्थन हो, भले ही राजनीतिक वितरण कुछ भी हो।

उन्होंने कहा कि एनएचआरसी और उसके सभी मानद सदस्य राष्ट्रीय आयोगों के हस्तक्षेप सरकारों को सुशासन में मदद करते हैं जिसके लिए वे प्रतिबद्ध हैं, और इसलिए, इन्हें उनके कामकाज के प्रतिकूल नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी आयोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति को वितरणात्मक न्याय मिले जिसके वह हकदार हैं।

उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए शिक्षा का मानकीकरण करने की जरूरत है। क्षेत्रीय भाषा को भुलाया जा रहा है। अगर मदरसों में बच्चों के लिए निम्न स्तर की शिक्षा जारी रहती है, तो मुसलमान कभी ऊपर नहीं उठ सकेंगे। उन्होंने कहा कि आरक्षित श्रेणियों में जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाने के लिए आरक्षण की नीति पर विचार करने की जरूरत है।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि वैधानिक आयोग के मानद सदस्य ऐसे किसी भी मामले को एनएचआरसी के संज्ञान में ला सकते हैं जिस मामले में उन्हें आगे की जांच करने और अधिकारों के उल्लंघन के पीड़ित को मौद्रिक राहत की संस्तुति करने की आवश्यकता महसूस हो।

श्रीमती रेखा शर्मा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय महिला आयोग ने मानव दुर्व्यापार पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल से श्रीनगर में महिलाओं की तस्करी बढ़ी है। शादी के नाम पर जबरन धर्मांतरण अधिकारों के हनन का एक गंभीर मुद्दा है, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है।

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष श्री हंसराज गंगाराम अहीर ने कहा कि कुछ राज्य राष्ट्रीय कल्याण योजनाओं को लागू नहीं करते हैं, जो समाज में असमानता और भेदभाव को समाप्त करने के लिए आवश्यक हैं। उन्होने यह भी कहा कि भारतीय सीमाओं में घुसपैठ करने वालों को आरक्षण का लाभ देने और देश के नागरिकों के लिए बनाई गई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ हड़पने का एक खतरनाक चलन देखा जा रहा है। इसे जांचने की जरूरत है।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री इकबाल सिंह लालपुरा ने इतने वर्षों के बाद भी 1984 के दंगों के कई पीड़ितों को मुआवजे का भुगतान न करने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए राष्ट्रीय आयोग एक ऐसी किताब पर काम कर रहा है जिसमें विभिन्न धर्मों की धार्मिक प्रथाओं के बारे में बुनियादी जानकारी हो। श्री लालपुरा ने यह भी कहा कि वे अनुसंधान परियोजनाओं पर एनएचआरसी के साथ सहयोग करना चाहेंगे।

प्रियांक कानूनगो, अध्यक्ष, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा कि अनाथालय चलाना बड़े पैमाने पर दान के माध्यम से प्राप्त धन को हड़पने का एक प्रकार का रैकेट बन गया है। उन्होंने एनएचआरसी से आग्रह किया कि वह सरकार को एंटी ट्रैफिकिंग ड्राफ्ट बिल में ग्रूमिंग पर एक प्रावधान शामिल करने के लिए प्रभावित करे। श्री प्रियांक ने यह भी कहा कि भारत में बच्चों के मानव अधिकारों की सुरक्षा के लिए पॉस्को ( POCSO) के प्रावधानों सहित प्रगतिशील कानून हैं, और इस तरह यह यूएनसीआरसी (UNCRC) से बहुत आगे है।

श्री सुभाष रामनाथ पारधी, सदस्य, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने चिंता व्यक्त की कि कई बार उच्च न्यायालय केवल तकनीकी आधार पर सिफारिशों और निर्देशों को अस्वीकार करते हैं न कि गुण-दोष के आधार पर। उन्होंने कहा कि एनसीएसटी की सिफारिशों को खारिज करने से पहले गुण-दोष के आधार पर न्यायपालिका पर भी उसे सुनवाई करने के लिए प्रभावित करने की आवश्यकता है।

दिव्यांग व्यक्तियों के लिए उप मुख्य आयुक्त श्री प्रवीण प्रकाश अम्‍बास्‍ता ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर अभिगम्यता दिव्यांग व्यक्तियों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। उन्होंने कहा कि सड़कों पर दिव्यांग व्यक्तियों के लिए बनाए गए रैम्‍प का इस्तेमाल दुपहिया वाहन कर रहे हैं, इसलिए कई जगहों पर इन्हें बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में दिव्यांगो के बारे में धारणा में बदलाव आया है, लेकिन अभी और बहुत अधिक किए जाने किए जाने की आवश्यकता है।

श्री ज्ञानेश्वर एम. मुले ने सुझाव दिया कि प्राचीन युग से लेकर आज तक भारतीय कला और संस्कृति में मानव अधिकारों को दर्शाने के लिए देश में मानव अधिकारों का एक संग्रहालय बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण की भारतीय विरासत को दिखाने के लिए संयुक्त रूप से एक उत्सव आयोजित करने का भी सुझाव दिया। डॉ मुले ने वैधानिक सदस्यों से एनएचआरसी कोर समूह की बैठकों में सक्रिय रूप से योगदान करने और उनके कार्य क्षेत्र के लिए सामान्य विभिन्न विषयगत मुद्दों पर सलाह देने के लिए कहा।

श्री राजीव जैन ने कहा कि वैधानिक आयोग के सदस्य शिकायतों और फोरम शॉपिंग के दोहराव से बचने के लिए मानव अधिकार नेट पोर्टल पर बोर्डिंग पर विचार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आयोग सभी राष्ट्रीय आयोगों के संयुक्त प्रयासों से अंतरराष्ट्रीय विमर्श को समृद्ध कर सकता है।

इससे पूर्व प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए श्री डी.के. सिंह, महासचिव, एनएचआरसी ने अपने जनादेश को पूरा करने की दिशा में आयोग की गतिविधियों की संक्षिप्त जानकारी दी। इनमें अन्य बातों के अलावा, 2022-23 के दौरान 1,09,982 मामलों का निपटान और 279 मामलों में पीड़ितों या उनके निकटतम संबंधियों को राहत के रूप में 13.69 करोड़ रुपये के भुगतान की सिफारिशें, 81 स्वत: संज्ञान मामले, 48 घटनास्थल पर पूछताछ के अलावा 9 कोर ग्रुप बैठकें और 4 खुली सुनवायी, और आयोग दवारा विभिन विषयों पर जारी परामर्शी शामिल हैं।

सुश्री मिरांडा इंगुंडम, निदेशक ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का प्रतिनिधित्व किया। एनएचआरसी के महानिदेशक (अन्वेषण), श्री मनोज यादव, रजिस्ट्रार (विधि), श्री सुरजीत डे, संयुक्त सचिव श्रीमती अनीता सिन्हा और श्री देवेंद्र कुमार निम और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी बैठक में भाग लिया।