एनएचआरसी, अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा का विश्व बाल दिवस पर संदेश
नई दिल्ली, 19 नवंबर, 2022 राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत 20 नवंबर, 2022 को विश्व बाल दिवस मनाने के लिए राष्ट्र और वैश्विक बिरादरी में शामिल होगा। यह उस दिन को चिन्हित करता है जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1959 में बाल अधिकारों की घोषणा और 1989 में बाल अधिकारों पर सम्मेलन (UNCRC) को अपनाया था। इस वर्ष विश्व बाल दिवस की थीम 'इन्क्लूजन, फॉर एवरी चाइल्ड' है। इस प्रकार, पारंपरिक रूप से बहिष्कृत बच्चों सहित बच्चों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, दुर्व्यवहार और शोषण से सुरक्षा का अधिकार सुरक्षित करना, हमारा सामूहिक लक्ष्य होना चाहिए। केवल यही समानता, समावेशी विश्व का रास्ता तय करेगी। यह समझा जाता है कि 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए सतत विकास लक्ष्यों के तहत उल्लिखित लक्ष्यों को हर एक बच्चे के अधिकारों की प्राप्ति के बिना पूरा नहीं किया जा सकता है। भारत में, बच्चों के अधिकारों का संरक्षण और संवर्धन एक संवैधानिक लक्ष्य है और राज्य और इसकी एजेंसियों का प्राथमिक दायित्व है। बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए स्कूल स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और मानक पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, जिसके लिए भारत सरकार शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के साथ-साथ मध्याह्न भोजन योजनाएं भी लागू कर रही है। यह एक संयोग है कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 ने 14 नवंबर, 2022 को अपने अधिनियमन के 10 वर्ष पूरे कर लिए हैं, जिस दिन भारत अपना बाल दिवस मनाता है। भारत में, हर बच्चे के जन्म का जश्न मनाने और बिना किसी भेदभाव के उसके अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए हर साल 14 से 20 नवंबर तक बाल अधिकार सप्ताह मनाया जाता है। अपनी स्थापना के बाद से, आयोग सभी विषयगत क्षेत्रों को कवर करने वाले संवादों और कार्यों के माध्यम से देश में बच्चों के अधिकारों की रक्षा और बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इनमें अन्य बातों के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा, बाल श्रम, बाल तस्करी, बाल विवाह, किशोर न्याय और बाल यौन शोषण शामिल हैं। आयोग ने 2019 में बच्चों से संबंधित भारतीय कानूनों, निर्णयों और योजनाओं की तुलना में यूएनसीआरसी का एक तुलनात्मक अध्ययन भी किया, ताकि राष्ट्रीय संदर्भ में सामंजस्य और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कोविड-19 महामारी ने बच्चों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। उसी को ध्यान में रखते हुए आयोग ने महामारी के दौरान बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए कई उपाय किए। आयोग ने केंद्र सरकार और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को दो परामर्शियां जारी की और महामारी के दौरान बच्चों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने और उन्हें कम करने के लिए समाधान खोजने के लिए वेबिनार/कोर समूह बैठकें भी आयोजित कीं। आयोग की ओर से, मैं सभी हितधारकों से आह्वान करता हूं कि वे हमारे बच्चों के लिए एक स्थायी भविष्य सुनिश्चित करने के लिए गंभीर प्रयास करें। आयोग इस अवसर पर बच्चों के अधिकारों की वकालत करने, उन्हें बढ़ावा देने, उनकी रक्षा करने और उनका जश्न मनाने की अपनी प्रतिबद्धता को नवीनीकृत करने का अवसर लेता है ताकि भारत में कोई भी बच्चा पीछे न छूटे। *****