एनएचआरसी द्वारा केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भारत में सोशल मीडिया पर बाल यौन शोषण सामग्री (सीसैम) में 250-300% की कथित वृद्धि पर नोटिस जारी
नई दिल्ली, 16 मई, 2023
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है कि भारत में सोशल मीडिया पर चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज मटेरियल (सीसैम) का परिचालन 250 से 300 प्रतिशत तक बढ़ गया है। कथित तौर पर, सीएसएएम सामग्री विदेशी हैं, और भारतीय जांच एजेंसियों को अभी तक किसी भी भारतीय निर्मित सीएसएएम का पता नहीं चला है।
आयोग ने यह देखा है कि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री, यदि सत्य है, तो यह नागरिकों के जीवन, स्वतंत्रता और गरिमा से संबंधित मानव अधिकारों के उल्लंघन और छोटे बच्चों को सोशल मीडिया पर उनके यौन शोषण के खतरे से बचाने से संबंधित मानव अधिकारों के उल्लंघन के बराबर है। तदनुसार, आयोग ने पुलिस आयुक्त, दिल्ली, सभी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों, निदेशक, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) और सचिव, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, को नोटिस जारी कर सोशल मीडिया पर इस तरह के खतरे को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर 6 सप्ताह के भीतर मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
15 मई, 2023 को की गई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में अब तक बाल यौन शोषण सामग्री के प्रसार के लगभग 450207 मामले सामने आए हैं। इनमें से दिल्ली पुलिस ने 3039 मामलों में कार्रवाई की है। इनमें से वर्तमान में 447168 मामलों का अध्ययन किया जा रहा है। कुछ मामलों में, भारत में छोटे बच्चों की उनके पिता, भाइयों और बहनों द्वारा प्यार से खींची गई तस्वीरों को भी एक अमेरिकी गैर सरकारी संगठन द्वारा बाल यौन शोषण के रूप में वर्गीकृत किया गया है। भारत में सोशल मीडिया पर बाल यौन शोषण सामग्री के वर्ष 2022 में 204056, वर्ष 2021 में 163633 और वर्ष 2020 में 17390 मामले दर्ज किए गए।
एनएचआरसी मानव अधिकारों पर ऑनलाइन बाल यौन शोषण सामग्री के दुष्प्रभावों से चिंतित है। इससे बच्चों की अपूरणीय मनोवैज्ञानिक क्षति हो सकती है, जिससे उनकी वृद्धि और विकास प्रभावित हो सकता है। आयोग हाल के दिनों में समय-समय पर संवादों का आयोजन करता रहा है ताकि इस खतरे को रोकने के तरीके और साधन निकाले जा सकें। हाल ही में 2 और 3 मार्च, 2023 को, आयोग ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में सीएसएएम पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया, जिसे केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी, कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री द्वारा संबोधित किया गया था।
इससे पहले, 21 जुलाई, 2020 को भी आयोग ने इस विषय पर एक ऑनलाइन राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया था, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, सरकारी मंत्रालयों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों, राष्ट्रीय और राज्य आयोगों, नागरिक समाज समूहों, डोमेन विशेषज्ञों और माता-पिता के संघों से बहुमूल्य जानकारी मिली थी।
आयोग ने दिनांक 29 सितंबर 2020 और 2 जून 2021 को क्रमशः 'कोविड-19 के संदर्भ में बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए मानव अधिकार परामर्शी' भी जारी की थी। जिसमें आयोग ने साइबर क्राइम और बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर संबंधित अधिकारियों को सिफारिशें की थीं। ये साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल और डिजिटल शिक्षा के लिए प्रज्ञाता दिशानिर्देशों का उपयोग करने से संबंधित हैं। साथ ही, 4 नवंबर 2022 को बाल यौन शोषण सामग्री (सीसैम) पर एक चर्चा आयोजित की गई, जिसमें विभिन्न डोमेन विशेषज्ञों ने सीसैम के मुद्दे की प्रकृति, सीमा और विभिन्न अभिव्यक्तियों पर विचार-मंथन किया गया था।