एनएचआरसी द्वारा वर्ष 2022 में मानव अधिकारों पर आधारित प्राप्त 137 प्रविष्टियों में से छह लघु फिल्मों को सम्मानित किया गया
प्रेस विज्ञप्ति
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
नई दिल्ली, 31 जुलाई, 2023
एनएचआरसी द्वारा वर्ष 2022 में मानव अधिकारों पर आधारित प्राप्त 137 प्रविष्टियों में से छह लघु फिल्मों को सम्मानित किया गया
फिल्में मस्तिष्क पर प्रभाव डालने और सकारात्मकता पैदा करने के लिए बहुत उपयोगी उपकरण हो सकती हैं: न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, अध्यक्ष, एनएचआरसी
आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि मानव अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए अपनी पुरस्कार विजेता फिल्मों का सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जाए: श्री भरत लाल, महासचिव, एनएचआरसी
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने आज अपनी लघु फिल्म प्रतियोगिता-2022 के विजेताओं को पुरस्कार प्रदान करने के लिए नई दिल्ली में अपने परिसर में एक समारोह का आयोजन किया। एनएचआरसी के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, सदस्य, डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले, श्री राजीव जैन ने महासचिव, श्री भरत लाल और महानिदेशक (अन्वेषण), श्री मनोज यादव की उपस्थिति में पुरस्कार प्रदान किए।
मराठी भाषा में श्री नीलेश अंबेडकर की फिल्म "चिरभोग" को प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह फिल्म एक लड़के और उसके अपमानजनक संघर्ष की कहानी है, जिसके माध्यम से समाज में जाति और व्यवसाय आधारित निरंतर भेदभाव पर प्रकाश डाला गया है कि कैसे वह स्वतंत्रता, समानता, गरिमा और शिक्षा के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए सिद्धांत और व्यवहार में विरोधाभासों को उजागर करने का फैसला करता है।
दूसरा पुरस्कार श्रीमती भवानी डोले ताहू को असमिया भाषा में उनकी फिल्म "इनेबल्ड" के लिए दिया गया। यह फिल्म एक अलग तरह से सक्षम बच्चे की कहानी के माध्यम से, दिव्यांगजनों के बारे में मानसिकता बदलने की जरूरत और माता-पिता द्वारा उनके पालन-पोषण में भेदभाव के कारण उनके जीवन, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा के अधिकारों के हनन को कम करने पर जोर देती है।
तीसरा पुरस्कार श्री टी. कुमार को तमिल भाषा में उनकी फिल्म "अत्चम थविर" के लिए दिया गया। यह फिल्म एक लड़की की कहानी के माध्यम से, स्कूल में अनुचित स्पर्श और यौन उत्पीड़न के बारे में छात्रों के बीच जागरूकता पैदा करने और शिक्षकों और स्कूल प्रशासन को इसके बारे में सतर्क रहने की आवश्यकता पर जोर देती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी गरिमा और शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन न हो।
तीन फिल्मों को 'सर्टिफिकेट ऑफ स्पेशल मेंशन' से सम्मानित किया गया। इनमें राजदत्त रेवनकर की 'लॉस्ट इन प्रोग्रेस', अब्दुल रशीद भट की 'डोंट बर्न लीव्स' और हारिल शुक्ला की 'यू-टर्न' शामिल हैं।
'लॉस्ट इन प्रोग्रेस' दर्शाती है कि कैसे माता-पिता द्वारा अपने बच्चों से उन्हें हरफनमौला बनाने की अत्यधिक अपेक्षाएँ अनुचित दबाव पैदा करती हैं और उन्हें स्वाभाविक विकास से वंचित कर देती हैं। 'डोंट बर्न लीव्स' एक डॉक्यूमेंट्री है जो सूखी पत्तियों को जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण की समस्या और पर्यावरण को प्रभावित किए बिना इनके निपटान की वैज्ञानिक विधि पर प्रकाश डालती है। और 'यू-टर्न' महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा की समस्याओं से निपटने में समाज के दोहरे मानकों को दर्शाती है।
ट्रॉफी और प्रमाणपत्र के अलावा, पहली तीन पुरस्कार विजेता फिल्मों को क्रमशः 2 लाख, 1.5 लाख और 1 लाख रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया। 'सर्टिफिकेट ऑफ स्पेशल मेंशन' फिल्मों में से प्रत्येक को 50,000 रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया।
न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि फिल्में राष्ट्रों की भौगोलिक सीमाओं को पार करते हुए मानव जीवन और भावनाओं की अभिव्यक्ति के एक बहुत ही प्रभावी माध्यम के रूप में विकसित हुई हैं। यह मन को प्रभावित कर सकारात्मकता पैदा करने करने के लिए बहुत उपयोगी उपकरण हो सकती हैं। उन्होंने सभी विजेताओं की सराहना की और कहा कि उनकी फिल्मों ने असमानता, बाल शिक्षा और पर्यावरण से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया है।
इससे पहले, एनएचआरसी के महासचिव, श्री भरत लाल ने आयोग की लघु फिल्म प्रतियोगिता की पृष्ठभूमि के बारे में उल्लेख करते हुए कहा कि इसकी स्थापना 2015 में की गई थी। पिछले कुछ वर्षों में, प्रतियोगिता में बहुत रुचि उत्पन्न हुई, जो विभिन्न भारतीय भाषाओं में देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में प्राप्त प्रविष्टियों से यह पता चलता है। आयोग के पास लगभग 50 पुरस्कार विजेता फिल्में हैं और वह उन्हें मानव अधिकार जागरूकता के लिए उपयोग करने हेतु केंद्र और राज्यों के विभिन्न सरकारी विभागों को भेज रहा है।
श्री लाल ने कहा कि 2022 में आयोग को 137 फिल्में प्राप्त हुईं, जिनमें से 123 मानदंडों के अनुसार पाई गई, जिन्हें पुरस्कारों के लिए चयन की प्रक्रिया में शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि मानव अधिकारों के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए इन फिल्मों का सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जाए।
इस अवसर पर पुरस्कार विजेता फिल्मों की टीमों के अलावा, आयोग के वरिष्ठ अधिकारी, रजिस्ट्रार (विधि), श्री सुरजीत डे, संयुक्त सचिव, श्रीमती अनीता सिन्हा और श्री देवेन्द्र कुमार निम और डीआइजी, श्री सुनील कुमार मीणा सहित वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।