एनएचआरसी ने फ़िरोज़पुर जिले के सतलुज से घिरे सीमावर्ती क्षेत्रों में बच्चों के लिए शिक्षा सुविधाओं तक उचित पहुँच की कमी को लेकर पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया



नई दिल्ली, 17 नवंबर, 2022

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने पंजाब के कालुवारा गाँव में विद्यार्थियों की दुर्दशा के बारे में एक मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है, रिपोर्ट में विशेष रूप से लड़कियों, जिन्हें राज्य के फिरोजपुर जिले के गट्टी रजोक इलाके में सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल पहुंचने के लिए सतलुज नदी के कीचड़ भरे किनारे पर पैदल चलना पड़ता है, फिर बेरही (एक लकड़ी की नाव) और फिर पाकिस्तान सीमा के साथ-साथ 4 किलोमीटर और चलकर नदी पार कर करना पड़ता है, के बारे में कहा गया है।

समाचार रिपोर्ट में आगे खुलासा किया गया है कि कालूवारा तीन तरफ नदी के पानी से और चौथी तरफ अंतरराष्‍ट्रीय सीमा से घिरा हुआ है। यह भी कहा जाता है कि भारी बारिश के दौरान, नदी से खेतों और घरों में बाढ़ आ जाती है, जिससे निवासियों को अपनी छतों पर एक साथ दिन बिताने के लिए मजबूर होना पड़ता है। गांव में 50 परिवार हैं और यहां केवल एक प्राथमिक विद्यालय है। प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाली अधिकांश लड़कियां उच्च शिक्षा के लिए स्कूल जाने में आने वाली अत्यधिक कठिनाइयों के कारण पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ देती हैं।

आयोग ने पाया है कि समाचार रिपोर्ट की सामग्री, यदि सही है, तो विद्यार्थियों के शिक्षा के अधिकार के साथ-साथ क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन और गरिमा के अधिकार के प्रति राज्य के अधिकारियों की उदासीनता से संबंधित मुद्दों को उठाती है। राज्य की जिम्मेदारी है कि वह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे और उन्हें गरिमा के साथ जीने का वातावरण प्रदान कर, उनके मानवाधिकारों की रक्षा करे।

तदनुसार, आयोग ने पंजाब सरकार को उसके मुख्य सचिव के माध्यम से क्षेत्र में विद्यार्थियों को बेहतर और परेशानी मुक्त शिक्षा सुविधाओं तक उचित पहुँच प्रदान करने के लिए या तो पास के स्थान पर एक नया स्कूल बनाकर या स्कूल पहुँचने के दौरान सतलुज / बेरही नदी से बचते हुए बेहतर पहुँच प्रदान करने के लिए उठाए जा रहे या उठाए जाने वाले कदमों के बारे में की गई कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक नोटिस जारी किया है।

नोटिस जारी करते हुए आयोग ने कहा है कि यह अनिवार्य हो जाता है कि राज्य सरकार बिना किसी बाधा या कठिनाई के प्रत्येक बच्चे के लिए शिक्षा प्रणाली तक पहुंच को संभव बनाए ताकि जीवन के मौलिक महत्व को प्राप्त किया जा सके।

इस संदर्भ में, आयोग ने अविनाश मेहरोत्रा बनाम भारत संघ, (2009) 6 एससीसी 398 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ-साथ संविधान में अनुच्छेद 21-ए की भूमिका को भी संज्ञान में लिया, जो छह से चौदह वर्ष की आयु के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए राज्य को उत्तरदायी बनाता है।

आयोग ने आगे कहा है कि भारत सरकार लड़कियों की शिक्षा पर जोर देती रही है। आयोग ने देश भर में बालिकाओं को लाभ प्रदान करने के लिए कई योजनाओं की घोषणा और कार्यान्वयन किया है, लेकिन ऐसी समाचार रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि कई दुर्गम क्षेत्र हैं, जहां अभी बहुत काम किया जाना बाकी है। गरीब नागरिकों को स्कूल, बाजार या अपने कार्यस्थल तक पहुंचने के लिए प्रतिदिन नदी पार करने के लिए बेरही का उपयोग करने के लिए उनके भाग्य पर नहीं छोड़ा जा सकता है।

16 नवंबर, 2022 की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इतनी बाधाओं के बीच हाई स्कूल शिक्षा के लिए विद्यालय जाने वाली दो लड़कियों का कहना है कि कभी-कभी ऐसा भी होता है कि वे बिना किसी बोट मैन के बेरही में अकेली होती हैं, जिसे एक ओवर हेड केबल का उपयोग करके संचालित किया जाता है जो नदी के दोनों किनारों पोल से बंधी होती है। लड़कियों को अपनी पूरी ताकत के साथ सिर के ऊपर की रस्सी को खींचना पड़ता है, नाव को खुद ही चलाना पड़ता है और दूसरी तरफ जाने से पहले इसके स्थिर होने का इंतजार करना पड़ता है। यह भी उल्लेख किया गया है कि कभी-कभी विद्यार्थियों को बेरही के लिए दो घंटे से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ता है क्योंकि उन्हें दूसरी तरफ से अपनी ओर बेरही के आने का इंतजार करना पड़ता है। कथित तौर पर क्षेत्र में बेरही जल परिवहन का एक सामान्य साधन है, जिसका उपयोग लोगों, मवेशियों और वाहनों जैसे साइकिल और मोटर बाइक यहां तक कि ट्रैक्टरों को पार उतारने लिए किया जाता है क्योंकि गट्टी राजोक नामक क्षेत्र तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है।