एनएचआरसी ने बिहार के 38 में से 31 जिलों में भूजल प्रदूषण पर गंभीरता से विचार करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी।
नई दिल्ली, 4 मार्च, 2022
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने विधानसभा में हाल ही में बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021-22 के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया है कि राज्य के 38 में से 31 जिलों में भूजल आर्सेनिक, फ्लोराइड और अत्यधिक आयरन से दूषित है । ये गंभीर स्वास्थ्य खतरे पैदा कर सकते हैं, जिनमें अन्य के अलावा, जिगर और गुर्दे से संबंधित समस्याएं शामिल हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इन सभी जिलों में खासकर ग्रामीण इलाके ज्यादा प्रभावित हैं।
आयोग ने पाया है कि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री, यदि सही है, मानवाधिकारों के उल्लंघन का एक गंभीर मुद्दा उठाती है। इसके लिए मुख्य सचिव एवं सचिव, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, बिहार सरकार को नोटिस कर छह सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। इसमें उन जिलों में पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने के लिए किए गए सुरक्षा उपायों और "हर-घर-जल-नल-योजना" के तहत योजना का कार्यान्वयन भी शामिल होना चाहिए। आयोग ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भूजल के रैंडम सैंपलिंग पर रिपोर्ट देने को भी कहा है।
3 मार्च, 2022 की मीडिया रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि 30,272 ग्रामीण वार्डों में भूजल रासायनिक रूप से दूषित है। गंगा के किनारे स्थित 14 जिलों के 4,742 ग्रामीण वार्ड विशेष रूप से आर्सेनिक से प्रभावित हैं, 11 जिलों के 3791 ग्रामीण वार्ड फ्लोराइड से प्रभावित हैं और 09 कोशी बेसिन जिले और अन्य जिलों के कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक लोहा है।
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