एनएचआरसी ने हैदराबाद महाविद्यालय में क्रूर रैगिंग और हमले की कथित घटना पर तेलंगाना सरकार, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और यूजीसी को नोटिस जारी किया
नई दिल्ली, 15 नवंबर, 2022
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने मीडिया रिपोर्टों का स्वत: संज्ञान लिया है कि दिनांक 1 नवंबर, 2022 को हैदराबाद के शंकरपल्ली में IBS महाविद्यालय के छात्रावास में BBA LLB के प्रथम वर्ष के छात्र के साथ रैगिंग की गई, क्रूरतापूर्वक मारपीट की गई और छात्रों के एक समूह द्वारा धार्मिक नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया। कथित तौर पर, पीड़ित ने महाविद्यालय प्रबंधन से संपर्क किया लेकिन उन्होंने तुरंत कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस ने पीड़ित द्वारा भेजी गई ई-मेल शिकायत पर 11 नवंबर, 2022 को मामला दर्ज कर लिया था।
आयोग ने पाया है कि मीडिया रिपोर्टों की सामग्री, यदि सही है, तो यह सरासर लापरवाही, पर्यवेक्षण की कमी और पीड़ित के मानवाधिकारों का उल्लंघन है और IBS महाविद्यालय के परिसर में प्रत्येक छात्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने में महाविद्यालय प्रशासन की अंतर्निहित विफलता है। ऐसा प्रतीत होता है कि 2009 में उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग के खतरे को रोकने के लिए यूजीसी के विनियमन के बावजूद कुछ भी सुधार नहीं हुआ है।
आयोग ने आगे पाया कि यदि हॉस्टल, छात्रों के आवास, कैंटीन, मनोरंजन कक्ष, शौचालय आदि में रैगिंग के शुरुआती संकेतों की पहचान करने के लिए छात्रों से नियमित बातचीत और परामर्श जैसे कुछ उपायों को लागू किया गया होता, तो रैगिंग की इस अवांछित घटना को रोका जा सकता था।
तदनुसार, आयोग ने तेलंगाना के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर मामले में छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, यूजीसी विनियम के अनुसार रैगिंग को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाने में संस्थान की प्रथम दृष्टया विफलता के कारणों के साथ की गई कार्रवाई और यूजीसी अधिनियम के तहत दंडात्मक कार्रवाई को लागू करके रैगिंग की घटना के अपराधियों, इसे उकसाने वालों और हमदर्दों को दंडित करने के लिए उठाए गए या उठाए जाने वाले कदम शामिल होने चाहिए। उनसे यह भी बताने को कहा गया है कि क्या पीड़ित को महाविद्यालय ने निलंबित कर दिया है और यदि हां, तो किन परिस्थितियों में?
पुलिस महानिदेशक, तेलंगाना को भी एक नोटिस जारी किया गया है, जिसमें सभी हमलावरों और संबंधित महाविद्यालय के शैक्षणिक /गैर- शैक्षणिक कर्मचारियों, जैसा कि समाचार रिपोर्ट में बताया गया है, के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले की स्थिति के बारे सूचना देने के लिए कहा है।
इसके अलावा, सचिव, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के साथ-साथ सचिव, यूजीसी को “शैक्षणिक संस्थानों में रैगिंग के खतरे और इसे रोकने के उपाय” पर राघवन समिति की सिफारिशों, जिनकी देश भर के शैक्षणिक संस्थानों के लिए भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा पुष्टि की गई, के प्रभावी कार्यान्वयन के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक नोटिस भेजा गया है।
नोटिस जारी करते हुए, आयोग ने नोट किया है कि केरल विश्वविद्यालय बनाम काउंसिल, प्रिंसिपल कॉलेज, केरल [(2009) 7 SCC 726] के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि रैगिंग के खिलाफ समय पर कार्रवाई नहीं करने के लिए शैक्षणिक /गैर- शैक्षणिक कर्मचारियों या छात्रावासों और मेस में काम करने वाले कर्मचारियों को संवेदनशील बनाने में विफलता के लिए संस्थानों के प्रमुखों / प्रशासन के सदस्यों को अनिवार्य रूप से पैनलबद्ध किया जाए। यह भी नोट किया है कि यूजीसी ने 29 जून, 2016 के अपने विनियम में तीसरे संशोधन द्वारा रैगिंग की परिभाषा को निम्नलिखित तरह विस्तारित किया है:-
"3. (i) रंग, वंश, धर्म, जाति, जातीयता, लिंग (ट्रांसजेंडर सहित), यौन अभिविन्यास, भेष, राष्ट्रीयता, क्षेत्रीय मूल, भाषाई पहचान, जन्म स्थान, निवास स्थान या आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर किसी अन्य छात्र (नए या अन्यथा) पर लक्षित शारीरिक या मानसिक शोषण (बदमाशी और बहिष्करण सहित) का कोई भी कार्य।"
एनएचआरसी ने पाया है कि ऐसा लगता है कि ऐप का उपयोग करने के साथ-साथ जागरूकता पैदा करने के लिए सार्वजनिक डोमेन में एंटी-रैगिंग मीडिया अभियान चलाने सहित रचनात्मक तरीकों का उपयोग करके सूचना का प्रसार सार्वजनिक डोमेन में दिखाई नहीं दे रहा है जिससे इस तरह के अपराध के अपराधियों को रोका जा सके और छात्रों की व्यक्तिगत गोपनीयता को प्रभावित किए बिना उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रैगिंग मुक्त परिसर गैर-प्रभावी रहेगा।
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