एनएचआरसी, भारत ने झारखंड के धनबाद में एक सरकारी अस्पताल के फर्श पर लावारिस पड़े मानसिक रूप से बीमार दो मरीजों की देखभाल में कथित लापरवाही का स्वतः संज्ञान लिया
प्रेस विज्ञप्ति
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
नई दिल्ली: 25 जून, 2024
एनएचआरसी, भारत ने झारखंड के धनबाद में एक सरकारी अस्पताल के फर्श पर लावारिस पड़े मानसिक रूप से बीमार दो मरीजों की देखभाल में कथित लापरवाही का स्वतः संज्ञान लिया
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अस्पताल के अधीक्षक ने दावा किया है कि अस्पताल में मानसिक रूप से बीमार मरीजों के इलाज के लिए कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं है
आयोग ने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने झारखंड के धनबाद में सरकारी शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसएनएमएमसीएच) में डॉक्टरों द्वारा मानसिक रूप से बीमार दो अज्ञात रोगियों को कोई चिकित्सा उपचार नहीं दिए जाने से सम्बंधित मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है। मीडिया रिपोर्ट में फर्श पर बिना कपड़ों के लेटे हुए असहाय रोगियों की तस्वीरें भी थीं। कथित तौर पर, अस्पताल के अधीक्षक ने कहा है कि मानसिक रूप से बीमार रोगियों के इलाज के लिए कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं है। अस्पताल का स्टाफ इन रोगियों को पॉलीथीन बैग में खाना देता है।
आयोग ने पाया है कि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री, यदि सच है, तो यह पीड़ित रोगियों के जीवन और सम्मान के अधिकार के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा है। तदनुसार, आयोग ने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
रिपोर्ट में अस्पताल प्रबंधन द्वारा अस्पताल की स्थिति सुधारने के लिए उठाए गए और प्रस्तावित कदमों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि अस्पताल में आने वाले मरीजों के साथ सम्मान के साथ व्यवहार किया जा सके और उन्हें चिकित्सा देखभाल से वंचित न किया जा सके। आयोग दोनों पीड़ितों को दिए जा रहे चिकित्सा उपचार की वर्तमान स्थिति भी जानना चाहेगा।
21 जून, 2024 को प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हाई डिपेंडेंसी यूनिट और जेरिएट्रिक वार्ड के बीच बरामदे में एक अस्थायी विभाजन बनाया गया है और इसे परित्यक्त/अज्ञात रोगियों के लिए वार्ड नाम दिया गया है। चिकित्सा अधीक्षक ने कथित तौर पर कहा कि अस्पताल में कर्मचारियों की कमी है और इन रोगियों के लिए चीजें तभी ठीक हो सकती हैं जब कोई एनजीओ उनकी देखभाल करे।