गंगा नदी में तैरते हुए पाए गए अनेक शवों के विषय में प्राप्त शिकायत पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा केन्द्र तथा उत्तर प्रदेश एवं बिहार शासन को नोटिस जारी।
नई दिल्ली, 13 मई, 2021
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश एवं बिहार में गंगा नदी में तैरते हुए पाए गए शवों के विषय में प्राप्त शिकायत पर संज्ञान लिया। आयोग ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों तथा सचिव, केन्द्रीय जल शक्ति (जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग) को आज नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
नोटिस जारी करते हुए आयोग ने यह भी कहा कि ऐसा लगता कि सार्वजनिक प्राधिकरण जनता को शिक्षित करने तथा गंगा नदी में आधे जले हुए अथवा बिना जले हुए शवों के विसर्जन की जांच के लिए ठोस प्रयास करने में विफल रहे हैं। हमारी पवित्र गंगा नदी में शवों के निपटान की प्रथा, जलशक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग के स्वच्छ गंगा परियोजना के राष्ट्रीय मिशन के दिशा-निर्देश का स्पष्ट उल्लंघन है।
यह नोट किया गया कि गंगा नदी (जीर्णोद्धार, संरक्षण एवं प्रबंधन) प्राधिकरण के आदेश 2016, जो गंगा नदी में पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण एवं उन्मूलन के उपायों से संबंधित है तथा जिसके अनुसार पानी के निरंतर पर्याप्त प्रवाह को सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि गंगा नदी का अपने प्राकृतिक एवं प्राचीन स्थिति में जीर्णोद्धार हो तथा इससे जुड़े मामलों और आकस्मिक उपचारों को भी निर्धारित किया गया है जिसके अनुसार गंगा नदी के जीर्णोद्धार, संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए न केवल अनिवार्य सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए बल्कि कर्तव्य भी निभाया जाना कि-
'किसी भी व्यक्ति को कोई ऐसी परियोजना, प्रक्रिया अथवा गतिविधि नहीं करनी चाहिए जो गंगा नदी में प्रदूषण का कारण बने, चाहे उसका उल्लेख इस आदेश में किया गया हो अथवा नहीं।''
शिकायतकर्ता ने दिनांक 11 मई, 2021 को, अनेक मीडिया रिपोर्टों के आधार पर आशंका जताई कि ये शव कोविड पीडि़तों के थे, अत: शवों का इस प्रकार से निपटान करने से उन सभी लोगों पर गंभीर असर पड़ेगा जो अपनी दैनिक गतिविधियों के लिए पवित्र नदी पर निर्भर करते हैं। यह भी उल्लेख किया गया था कि यदि ये शव कोविड पीडि़तों के नहीं भी हैं, तो भी इस प्रकार की प्रथा/घटना पूरे समाज के लिए शर्मनाक है क्योंकि यह मृतक व्यक्तियों के मानव अधिकारों का उल्लंघन है। शिकायतकर्ता ने उन लापरवाह लोक प्राधिकारियों, जो इस प्रकार की घटनाओं को रोकने में विफल रहे, के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने के लिए आयोग से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।