न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने कहा है कि यह मानसिक बीमारी के कलंक को दूर करने और मानसिक बीमारियों से पीडि़त व्यक्तियों के लिए एक सुरक्षित समाज बनाने के लिए नवीन विचारों के बारे में सोचने का समय है; समाज और परिवार...
न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने कहा है कि यह मानसिक बीमारी के कलंक को दूर करने और मानसिक बीमारियों से पीडि़त व्यक्तियों के लिए एक सुरक्षित समाज बनाने के लिए नवीन विचारों के बारे में सोचने का समय है; समाज और परिवार के सदस्यों से इलाज के बाद उन्हें स्वीकार करने और उनका समर्थन करने का आग्रह भी किया
नई दिल्ली, 13 जुलाई, 2022
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत के प्रतिनिधिमंडल ने आज ग्वालियर, मध्य प्रदेश के अपने दो दिवसीय दौरे पर ग्वालियर मानसिक आरोग्यशाला के कुशल संचालन की योजना तैयार करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार के सहयोग से एक कार्यशाला का आयोजन किया। यह 12 जुलाई, 2022 को ग्वालियर मानसिक आरोग्यशाला के दौरे और निरीक्षण के क्रम में है।
कार्यशाला के मुख्य अतिथि, एनएचआरसी के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने कहा कि मानसिक बीमारियां अभी भी समाज में एक कलंक हैं और इनका समाधान खोजने से पहले हमें एक लंबा रास्ता तय करना है। ऐसी बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को समाज में हीन दृष्टि से देखा जाता है, जो उन्हें उनके मानव अधिकारों के उपभोग/आनंद से प्रतिबंधित करता है। सबसे बड़ी समस्या उनके इलाज के बाद समाज की मुख्यधारा में उनके पुनर्वास की है। मानसिक बीमारी से जुड़ा कलंक और जागरूकता की कमी उनके परिवारों द्वारा स्वीकृति प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न करती है।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने परिवारों को मानसिक बिमारी से पीडि़तों के इलाज के बाद उन्हें वापस अपनाने के लिए मजबूर करने के लिए कानूनों का आग्रह किया, जिसमें रखरखाव और संपत्ति के अधिकार का प्रावधान शामिल हो। उन्होंने कहा कि ऐसा दृष्टिकोण प्यार, देखभाल और स्नेह पर आधारित होना चाहिए। इसे जोड़ते हुए, उन्होंने कहा कि इस कलंक को दूर करने और मानसिक बीमारियों से पीडि़त व्यक्तियों के लिए एक सुरक्षित समाज बनाने के लिए नवीन विचारों के बारे में सोचने का समय है।
न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों के अधिकारों की रक्षा करना प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बदलाव की शुरुआत सोच बदलने से होनी चाहिए। जब तक मानसिकता नहीं बदलेगी, अधिनियमों में कोई भी संशोधन सकारात्मक परिणाम नहीं देगा। यदि यह सिर्फ कागजों पर ही बना रहता है और इसे सही मायने में लागू नहीं किया जाता है तो यह कानून के शासन की विफलता कही जाएगी। उन्होंने कहा कि इस आरोप-प्रत्यारोप के खेल को रोकने और मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा के लिए संवैधानिक रूप से वस्तुनिष्ठ समाधान पर सही भावना से काम करने का समय है।
इससे पहले, एनएचआरसी सदस्य, न्यायमूर्ति श्री एम.एम. कुमार ने कहा कि हालांकि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 में मानसिक बीमारी से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकारों की सुरक्षा के संबंध में विशिष्ट प्रावधान हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इनका कार्यान्वयन नहीं देखा जाता है। मध्य प्रदेश सरकार ने सांविधिक राज्य प्राधिकरण की स्थापना की है, लेकिन मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा के लिए अधिनियम के प्रावधानों और भावना के अनुरूप इसे प्राथमिकता के आधार पर पूरी तरह कार्यात्मक बनाने की आवश्यकता है।
एनएचआरसी के महासचिव, श्री देवेंद्र कुमार सिंह ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के संबंध में उच्चतम न्यायालय के निर्णयों के बारे में चर्चा की। उन्होंने सामान्य रूप से समाज से समर्थन की कमी पर भी जोर दिया, जो उचित उपचार की प्रक्रिया में बाधा डालता है। उन्होंने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की भूमिका पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि आयोग मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों के अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण में काम करना जारी रखेगा।
दो दिवसीय यात्रा से जो मुख्य बिंदु सामने आए हैं, वे इस प्रकार हैं:
• मानसिक बीमारियों से संबंधित कलंक को दूर करने के लिए जागरूकता, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर क्रूर और अमानवीय व्यवहार होता है;
• मानसिक बीमारियों के स्थान पर व्यवहारिक स्वास्थ्य प्रबंधन जैसी अभिव्यक्तियों का उपयोग किया जा सकता है ताकि इससे जुड़ी समस्या को दूर किया जा सके;
• सुरक्षित और स्वच्छ भोजन, पीने योग्य पानी और आवास की व्यवस्था;
• सामुदायिक जीवन के अवसरों का प्रावधान;
• मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में बेहतर प्रौद्योगिकियों की संभावनाओं का विस्तार करने के लिए धन और विशिष्ट बजट की उपलब्धता;
• पुनर्वास को आसान बनाने में मदद के लिए नियमित रूप से साक्षरता और जागरूकता शिविर आयोजित किए जाएंगे;
कार्यशाला को एनएचआरसी के सदस्य श्री राजीव जैन के साथ-साथ संयुक्त सचिव श्री एच.सी. चौधरी ने भी संबोधित किया। श्री प्रतीक हजेला, अपर मुख्य सचिव, समाज कल्याण और विकलांग कल्याण विभाग, मध्य प्रदेश सरकार; श्री सुदाम पी खाड़े, आयुक्त, स्वास्थ्य, मध्य प्रदेश सरकार, प्रो. (डॉ.) अतुल गोयल, महानिदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं, भारत सरकार; प्रो. (डॉ.) प्रतिमा मूर्ति, निदेशक, निमहंस; प्रधान जिला न्यायाधीश, श्री प्रेम नारायण सिंह, ग्वालियर और निदेशक, ग्वालियर मानसिक आरोग्यशाला ने भी कार्यशाला में भाग लिया।
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