पूर्व भूमिका : भारत के राष्ट्रपति 10 दिसंबर को एनएचआरसी, भारत के मानव अधिकार दिवस समारोह को संबोधित करेंगे



नई दिल्ली, 6 दिसंबर 2022

<>p> मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा (यूडीएचआर) की स्‍मृति में हर साल 10 दिसंबर को मानव अधिकार दिवस मनाया जाता है। इस घोषणा को 1948 में इसी दिन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के महत्व को समझने के लिए सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत मूल्य-आधारित दस्तावेज़ के रूप में अनुमोदित और घोषित किया गया था। मानव अधिकार अपरिहार्य अधिकार हैं जिनका प्रत्येक मनुष्य जन्म से नस्‍ल, जाति, पंथ, लिंग, भाषा, राजनीतिक या अन्य विश्वास या किसी अन्य स्थिति के बावजूद हकदार है।

<>p> इस वर्ष मानव अधिकार दिवस का विषय 'सभी के लिए गरिमा, समानता एवं न्‍याय' है क्योंकि यह यूडीएचआर के अस्तित्व के 75वें वर्ष में प्रवेश के साथ-साथ मानवता के सामने विभिन्न चुनौतियों के बीच समाज के विभिन्न वर्गों के लिए मानव अधिकार संरक्षण की एक विस्तारित प्रणाली की नींव के रूप में इसे बढ़ावा देने और मान्यता देने के लिए एक साल तक चलने वाले अभियान का प्रतीक है।

<>p> राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत, मानव अधिकार दिवस के उत्सव को दुनिया भर के विभिन्न हितधारकों के लिए एक अवसर के रूप में देखता है ताकि वे अपने कार्यों और कर्तव्यों पर चिंतन कर सकें और यह सुनिश्चित कर सकें कि वे मानव अधिकारों के उल्लंघन का कारण न बनें।

<>p> इसी भावना के साथ, एनएचआरसी, भारत 10 दिसंबर, 2022 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में इस अवसर को चिह्नित करने के लिए एक समारोह आयोजित कर रहा है। भारत के राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, एनएचआरसी के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, सदस्यों, न्यायमूर्ति श्री एम.एम. कुमार, डॉ. डी.एम. मुले और श्री राजीव जैन, महासचिव, श्री देवेंद्र कुमार सिंह, अन्य वरिष्ठ अधिकारी, सांविधिक आयोग एवं एसएचआरसी के सदस्य, राजनयिक, नागरिक समाज एवं अन्य गणमान्‍यों की उपस्‍थिति में मुख्‍य अतिथि के रूप में समारोह को संबोधित करेगें।

<>p> मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत 12 अक्टूबर 1993 को अपनी स्थापना के बाद से, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत ने भारत के संविधान के अनुरूप, यूडीएचआर को रेखांकित करते हुए, विभिन्न विश्व निकायों जैसे राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्‍थानों के वैश्विक गठबंधन (GANHRI) और एशिया पैसिफिक फोरम (APF) में चर्चाओं के तहत देश में मानव अधिकारों के लिए महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत, राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों (NHRI) के लिए संयुक्त राष्ट्र के पेरिस सिद्धांतों का अनुपालन करता है और मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए GANHRI के साथ 'ए' ग्रेड मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थान बना हुआ है, तथा संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्‍ट्रों और उनके राष्ट्रीय मानव अधिकार संस्थानों की मानवाधिकार स्थिति का आकलन करने के लिए वर्ष 2006 में शुरू हुए चार सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा (यूपीआर) का हिस्सा रहा है। आयोग 1994 से राष्‍ट्रीय मानव अधिकार संस्‍थान के एशिया पैसिफिक फोरम (APF) का संस्थापक सदस्य भी है। वर्तमान में, आयोग के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, एपीएफ की अधिकार प्राप्त शासन समिति के सदस्य होने के साथ-साथ गनहरी ब्यूरो के सदस्य हैं।

<>p> एनएचआरसी, भारत ने नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम किया है। अपने कई कार्यक्रमों और गतिविधियों के माध्यम से, आयोग ने सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों में मानवधिकार-केंद्रित दृष्टिकोण को मुख्यधारा में लाने के साथ-साथ सार्वजनिक अधिकारियों और नागरिक समाज के बीच मानवाधिकार ज्ञान और संवेदनशीलता बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

<>p> 1 दिसंबर 2021 से 30 नवंबर 2022 तक, आयोग ने 116675 मामले दर्ज किए, जिनमें 53 मामले स्वत: संज्ञान; आयोग ने पुराने और नए मामलों सहित 106683 मामलों का निपटारा संबंधित लोक प्राधिकरणों की जांच रिपोर्ट और आयोग की अन्‍वेषण टीम के निष्कर्षों के आधार पर किया। 224 मामलों में, आयोग ने मानव अधिकारों के उल्लंघन के पीड़ितों को राहत के रूप में 9,14,25,000/- रुपये की संस्‍तुति की। इसके अलावा, अपनी पहुंच को व्यापक बनाने और मामलों के समाधान में तेजी लाने के लिए, आयोग ने शिकायतों के दोहराव को दूर करने और मामलों की स्थिति पर नज़र रखने में सहायता के लिए एचआरसीनेट पोर्टल में कई राज्य मानव अधिकार आयोगों (एसएचआरसी) को शामिल किया है।

<>p> पिछले साल समाज के कमजोर वर्गों के मानव अधिकारों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिसमें ट्रक चालकों के अधिकार, सीवेज और नगरपालिका के कचरे की खतरनाक सफाई में शामिल व्यक्ति, नेत्र आघात के शिकार लोग शामिल हैं। आयोग ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों और आश्रय घरों के रखरखाव, मानसिक रूप से बीमार रोगियों के अधिकारों और पुनर्वास और वायु प्रदूषण की समस्या को भी प्राथमिकता दी है। आयोग द्वारा इस संबंध में 07 परामर्शियां जारी की गईं।

<>p> आयोग ने इस साल मानव अधिकारों के विभिन्‍न विषयों पर 23 शोध प्रस्तावों, जिसमें शिक्षा का अधिकार, बाल अधिकार, आदिवासियों के अधिकार, मानव अधिकारों पर महामारी के प्रभाव, जीवन और आजीविका का अधिकार, स्थानीय स्वशासन-पंचायती राज, भोजन का अधिकार, बुजुर्गों के अधिकार, शरणार्थियों के अधिकार, विधवाओं के अधिकार, जनजातीय क्षेत्रों से संबंधित आश्रम शालाओं का कार्य करना और बालिका शिक्षा आदि, को मंजूरी दी है।

<>p> एनएचआरसी मानव अधिकार शिक्षा और जागरूकता को भी बढ़ावा दे रहा है। आयोग के प्रमुख पांच द्वि-मासिक ऑनलाइन अल्पकालिक इंटर्नशिप ने देश भर के विश्‍वविद्यालयों के सैकड़ों छात्रों को लाभान्वित किया, विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों द्वारा 45 मानव अधिकार कार्यशालाओं को प्रायोजित करने के अलावा एक दिन के उन्‍मुखीकरण के लिए उच्‍च शिक्षा के विभिन्न संस्थानों के छात्रों और संकायों के 18 दौरे आयोजित करवाये। यह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अपने युवा स्वयंसेवकों और पदाधिकारियों के विशाल नेटवर्क के लिए और उनके माध्यम से मानव अधिकार जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के लिए राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) और नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस) के साथ समन्‍वय के लिए अपने प्रयास को जारी रखे हुए है। इसके अलावा, आयोग की मानव अधिकार फोटोग्राफी प्रतियोगिता, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के लिए वार्षिक वाद-विवाद प्रतियोगिता, और मानव अधिकारों पर लघु फिल्मों के लिए प्रतियोगिता आदि में देश के नागरिकों को शामिल करते हुए मानव अधिकारों के मुद्दों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण गतिविधियाँ हैं।

<>p> मामलों के त्वरित निपटान के लिए रिपोर्ट प्रस्तुत करने में तेजी लाने के लिए विभिन्न राज्य प्राधिकरणों के साथ कई वीडियो कॉन्‍फ्रेस आयोजित करने के अलावा, आयोग ने महामारी के बाद अपनी जन/खुली सुनवाई तंत्र को भी पुनर्जीवित किया है। आयोग ने "विशेष प्रक्रियाओं द्वारा की गई गतिविधियों, यात्राओं का संचालन और सलाह प्रदान करने" के माध्यम से मानव अधिकारों के उल्लंघन पर "जांच, निगरानी, मूल्यांकन, सलाह और रिपोर्ट" करने के लिए 15 विशेष प्रतिवेदक और 15 विशेष मॉनिटर नियुक्त किए हैं। उन्होंने जेलों, निरीक्षण गृहों, स्कूलों, मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों, पुलिस स्टेशनों, बालिका सदनों, राज्य समाज कल्याण विभागों, वृद्धाश्रमों, अस्पतालों, आंगनवाड़ी, बालिकाओं के लिए आश्रय गृहों आदि का दौरा किया है।

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