बंधुआ मजदूरों के अधिकारों पर एनएचआरसी कोर ग्रुप की बैठक
प्रेस विज्ञप्ति
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
नई दिल्ली: 12 जुलाई, 2024
बंधुआ मजदूरों के अधिकारों पर एनएचआरसी कोर ग्रुप की बैठक
एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती विजया भारती सयानी ने मुक्त बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास के लिए एक एकीकृत और दीर्घकालिक रणनीति पर जोर दिया, ताकि उन्हें सम्मान के साथ समाज में पुनः शामिल किया जा सके
उन्होंने कहा, इसके निवारक उपायों में जन जागरूकता अभियान, अधिकार शिक्षा, वयस्क साक्षरता कार्यक्रम, श्रमिक संगठन, आय सृजन और व्यावसायिक कौशल विकास शामिल होना चाहिए
बैठक में कई सुझावों के साथ- साथ, अपने राज्यों के बाहर नौकरी की तलाश करने वाले अनौपचारिक श्रमिकों के पंजीकरण के लिए एक पोर्टल बनाने पर भी जोर दिया गया
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने देश में बंधुआ मजदूरी के उन्मूलन में आने वाली बाधाओं और उनके बचाव, राहत और पुनर्वास में आने वाली कमियों पर चर्चा करने के लिए कोर ग्रुप की एक बैठक का आयोजन किया । बैठक की अध्यक्षता एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती विजया भारती सयानी ने की, जिसमें महासचिव श्री भरत लाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी, विशेषज्ञ और मानव अधिकार संरक्षक मौजूद थे।
श्रीमती विजया भारती सयानी ने कहा कि प्रयासों और कानूनी प्रावधानों के बावजूद, कई लोग अभी भी जबरन मजदूरी और ऋण बंधन में फंसे हुए हैं। एनएचआरसी ने बंधुआ मजदूरों की पहचान, रिहाई और पुनर्वास के लिए परामर्शी जारी करने सहित महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हालांकि, विभिन्न उद्योगों में बंधुआ मजदूरी का बने रहना यह दर्शाता है कि अभी और बहुत कुछ करने की जरूरत है। बंधुआ मजदूरी के कई नाम हैं जो गैर-कृषि क्षेत्रों तक फैले हुए हैं जिनमें देवदासी प्रथा और लघु उद्योग शामिल हैं।
एनएचआरसी के महासचिव श्री भरत लाल ने बंधुआ मजदूरी की समस्या को खत्म करने के लिए ठोस सुझावों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत में अभी भी ऐसे मूल्य प्रणालियां हैं जो इस मुद्दे से निपटने के लिए नैतिक प्रेरणा प्रदान करती हैं। इसलिए, कानूनी प्रावधानों के कार्यान्वयन को लागू करते समय, भारत में बंधुआ मजदूरी को कम करने के लिए साथी मनुष्यों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करने वाली मूल्य प्रणालियों के बारे में सामाजिक जागरूकता का प्रसार किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी बताया कि हर साल लगभग 2 करोड़ लोग भारत के कार्यबल में शामिल हो रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि श्रम की मांग और आपूर्ति के बीच असंतुलन है, जिसके कारण कुछ मानव-विरोधी श्रम प्रथाएँ हो रही हैं। हाल ही में, आयोग ने एक बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों से लगातार 10 घंटे तक काम करवाने के समाचार पर स्वतः संज्ञान लिया था। डिलीवरी सेवा प्रदान करने वाली कंपनियां आज भी, कभी-कभी, 15 मिनट की डिलीवरी और इसी तरह की सेवाओं को सुनिश्चित करते हुए, अपने कार्यकारियों के जीवन को जोखिम में डालती हैं, जिससे पूरी पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। घरेलू कामगार भी इसी दायरे में आते हैं।
इससे पहले, संयुक्त सचिव श्री देवेन्द्र कुमार निम ने कोर ग्रुप की बैठक का संक्षिप्त विवरण देते हुए कहा कि संकटग्रस्त प्रवासी परिवारों के कई बच्चे कपड़ा, पटाखा निर्माण, ईंट भट्टों और ग्रेनाइट निष्कर्षण इकाइयों जैसे क्षेत्रों में बंधुआ मजदूर बन जाते हैं। हाशिए पर रहे समुदायों, खासकर अनुसूचित जातियों और जनजातियों की महिलाओं और बच्चों को अक्सर कृषि और कपड़ा उद्योग में बंधुआ मजदूरी के लिए निशाना बनाया जाता है। एक अध्ययन से पता चला है कि पुनर्वासित बंधुआ मजदूरों में से 83% अनुसूचित जातियों या जनजातियों के हैं। बचाए गए बंधुआ मजदूरों को धमकियों का सामना करना पड़ता है और प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज करने में देरी होती है, जिससे न्याय पाने का उनका रास्ता जटिल हो जाता है।
बैठक का एजेंडा तीन तकनीकी विषयों पर केंद्रित था जो इस प्रकार थे: -
• बंधुआ मजदूरी पर मौजूदा संवैधानिक और वैधानिक प्रावधान और उनका कार्यान्वयन।
• कृषि, कपड़ा उद्योग और ईंट भट्ठा संस्थानों के उद्योग में बंधुआ मजदूरों की उपस्थिति।
• बंधुआ मजदूरी का लगातार निशाना बनने वाली महिलाओं और बच्चों की स्थिति।
चर्चा के बाद विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। प्रारंभ में, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के वक्ताओं ने भारत में बंधुआ मजदूरी प्रणाली के उन्मूलन के संबंध में भारत में उपलब्ध संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों के बारे में जानकारी दी। मुख्य श्रम आयुक्त श्री ओंकार शर्मा ने “3-डी जॉब्स” की अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की, जो बंधुआ मजदूरों द्वारा किए जाने वाले कामों की जोखिमता, कठिनाई और मलिन स्वरुप को उजागर करती है। अवधारणा के मुद्दे और लाभार्थी की शक्तियों और कानून के बारे में उनकी समझ के बीच अंतर पर भी जोर दिया गया।
कोर ग्रुप के सदस्यों के अलावा, कुछ विशेष आमंत्रितों जैसे कि डॉ. एल्बी जॉन वर्गीस, आईएएस; मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (चेन्नई) लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ने ऐसे अनौपचारिक श्रमिकों के पंजीकरण के लिए एक पोर्टल बनाने का सुझाव दिया, जो अपने राज्यों के बाहर नौकरी हासिल करने के लिए खुद को पंजीकृत कर सकते हैं। इसके अलावा, एक अन्य विशेष आमंत्रित ने अंतर-राज्यीय सेल का सुझाव दिया, जो राज्यों में प्रवास करने वाले बंधुआ मजदूरों को ट्रैक कर सके। बंधुआ मजदूरी के मामलों को उठाने के लिए राज्य स्तरीय हेल्पलाइन शुरू की जा सकती हैं या उनमें सुधार किया जा सकता है।
इसके अलावा, डॉ. एल मिश्रा, आईएएस (सेवानिवृत्त) ने बंधुआ मजदूरों के लिए सम्मान बहाल करने और दुर्व्यवहार से सुरक्षा की मांग की तथा अंतर-राज्यीय प्रवासी कामगार अधिनियम में एजेंट/बिचौलियों के खंड की आलोचना की। रिहाई प्रमाणपत्रों का कम जारी होना और बेहतर मनिटरिंग एवं डेटा रिकॉर्डिंग का भी सुझाव दिया गया। श्री संदीप चाचरा, कार्यकारी निदेशक, राष्ट्रीय समन्वयक, एक्शन एड इंडिया द्वारा एक अन्य प्रमुख सुझाव दिया गया कि ईंट भट्ठा श्रमिकों के लिए बेहतर कार्य स्थितियों सहित उद्योग-आधारित दृष्टिकोण और विशिष्ट नियम बनाए जाए। अंत में, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने बचाव कार्यों में गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी और ग्राम पंचायतों द्वारा मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के बेहतर क्रियान्वयन तथा रिपोर्टिंग का समर्थन किया।
बैठक के दौरान सामने आये कुछ सुझाव इस प्रकार थे:
• ऐसे अनौपचारिक श्रमिकों के पंजीकरण के लिए एक पोर्टल बनाएं जो अपने राज्यों के बाहर नौकरी पाने के लिए खुद को पंजीकृत कर सकते हैं;
• राज्यों के बीच प्रवास करने वाले बंधुआ मजदूरों पर नज़र रखने के लिए एक अंतर-राज्यीय सेल की स्थापना करें;
• श्रम अनुबंध तंत्र को औपचारिक बनाएं;
• एनएचआरसी के पास बंधुआ मजदूरी की शिकायतों को दर्ज करने के लिए एक समर्पित तंत्र हो सकता है ताकि त्वरित हस्तक्षेप हो सके;
• बंधुआ मजदूरी को शामिल करके मानव दुर्व्यापार को परिभाषित करें;
• बंधुआ मजदूरी के निवारण हेतु पुलिस कर्मियों और जिला प्रशासन का संवेदीकरण करना आवश्यक है;
• बंधुआ मजदूरों के बचाव, राहत और पुनर्वास के बीच समय-अंतराल को कम करना;
• नालसा को बंधुआ मजदूरी के पीड़ितों को कानूनी सहायता प्रदान करनी चाहिए;
आयोग सरकार के लिए अपनी संस्तुतियां तैयार करने हेतु इस मामले में विभिन्न सुझावों और इनपुट पर आगे चर्चा करेगा। बैठक में एनएचआरसी के महानिदेशक (अन्वेषण) श्री अजय भटनागर, रजिस्ट्रार (विधि) श्री जोगिंदर सिंह, सरकारी मंत्रालयों, स्वायत्त निकायों, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधि और शोध विद्वान शामिल थे, जिन्होंने बंधुआ मजदूरों के अधिकारों से जुड़े प्रासंगिक मुद्दों पर हुई चर्चा में अपना योगदान दिया।
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