बच्चों पर एनएचआरसी कोर ग्रुप की बैठक में स्कूली शिक्षकों के रिक्त पदों को समयबद्ध भरने और बेहतर शिक्षण परिणाम सुनिश्चित करने के लिए संसाधनों के अधिक निवेश का आह्वान किया गया।



नई दिल्ली, 25 फरवरी, 2022

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने आज बच्चों के शिक्षण परिणामों पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव पर चर्चा करने और इस अंतर को कम करने के लिए किए जाने वाले उपायों के सुझाव हेतु बच्चों पर अपने कोर ग्रुप की बैठक आयोजित की।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए, एनएचआरसी सदस्या श्रीमती ज्योतिका कालरा ने प्रतिभागियों के साथ हुए विचार-विमर्श के आधार पर कहा कि यह राज्य की ओर से एक चूक है और 11 लाख रिक्त शिक्षण पदों को समयबद्ध तरीके से रणनीतिक रूप से भरने का आग्रह किया। शैक्षिक परिणामों में अंतर को कम करने के लिए, श्रीमती कालरा ने शिक्षकों के नियमित प्रशिक्षण और बहु-स्तरीय शिक्षण सामग्री के प्रावधान पर जोर दिया। उन्होंने छात्रों की सुगमता के लिए हार्ड कॉपी में सामग्री उपलब्‍ध कराने के लिए भी प्रोत्साहित किया। सामुदायिक भागीदारी की प्रभावशीलता को ध्‍यान में रखते हुए, श्रीमती कालरा ने स्वयंसेवकों को प्राथमिक कक्षाओं में ज्ञान प्रदान करने के लिए प्रेरित किया है।

विचार विमर्श को आगे बढ़ाते हुए एनएचआरसी के महासचिव श्री बिम्‍बाधर प्रधान ने कहा कि जरूरतमंद और कमजोर वर्ग को पीछे छोड़ते हुए, समाज के केवल एक वर्ग को लाभान्वित करने वाली प्रणाली में स्थानांतरित होना, अवसर की समानता के भारतीय लोकाचार की धारणा के विरुद्ध है। उन्होंने प्राथमिक स्कूल के बच्चों में सीखने की क्षमता को प्रभावित करने वाले डिजिटल डिवाइड के प्रभावों पर भी प्रकाश डाला।

बैठक के दौरान सामने आने वाले कुछ महत्वपूर्ण सुझाव इस प्रकार हैं:

• विविध पूल और छात्रों की व्यक्तिगत क्षमता को ध्यान में रखते हुए 'वन साइज फिट्स ऑल' समाधान से बचें;

• शिक्षकों और छात्रों की विविध आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए एक विकेन्द्रीकृत स्थानीय पाठ्यक्रम, शिक्षाशास्त्र और मूल्यांकन संरचना की ओर बढ़ना;

• नए शैक्षणिक वर्ष में, प्री-स्कूल और आंगनवाड़ी एक्सपोजर की कमी को ध्यान में रखते हुए, प्राथमिक छात्रों को अंकगणित और साक्षरता कार्यक्रमों में भाग लेने के बजाय उन्‍हें पूर्व-विद्यालय गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रोत्‍साहित करना; संज्ञानात्मक, बोलने के ढंग और बुनियादी नींव पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए;

• शैक्षणिक नुकसान को दूर करने के लिए त्वरित समाधान खोजने के बजाय निर्णायक और दीर्घकालिक कार्रवाई की जानी चाहिए;

• शैक्षिक आपातकाल को दूर करने के लिए विशिष्ट एवं असंबद्ध विद्यालय स्तरीय अनुदानों का प्रावधान किया जाना चाहिए।

बैठक का संचालन एनएचआरसी की संयुक्त सचिव श्रीमती अनिता सिन्हा ने आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा, संयुक्त निदेशक (अनुसंधान), डॉ. एम. डी. एस. त्यागी और अनुसंधान अधिकारी, डॉ. सिमी आजम की उपस्थिति में किया। बैठक में शिक्षा मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, एनसीईआरटी, सीबीएसई, केंद्रीय विद्यालय संगठन के प्रतिनिधियों, एनएचआरसी कोर ग्रुप के सदस्यों, यूनिसेफ इंडिया, नेशनल कॉलि़श़न ऑन एजुकेशन इमरजेंसी के निदेशक, बोध शिक्षा समिति और बच्‍चों पर एनएचआरसी के पूर्व मॉनिटर्स ने विशेष आमंत्रितों के रूप में भाग लिया।

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