मानव अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने हेतु दक्षिण भारत में एनएचआरसी का जनसम्पर्क



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत

नई दिल्ली: 13 सितंबर 2024

मानव अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षकों को प्रशिक्षित करने हेतु दक्षिण भारत में एनएचआरसी का जनसम्पर्क

तेलंगाना के डॉ. एमसीआर मानव संसाधन विकास संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में प्रशिक्षकों के तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन

पुलिस कर्मियों, महिला एवं बाल विकास और समाज कल्याण विभागों के प्रतिनिधियों ने कार्यक्रम में भाग लिया, प्रख्यात विशेषज्ञों ने मानव अधिकारों के विभिन्न पहलुओं पर सम्बोधन दिया

तेलंगाना के महानिदेशक और विशेष मुख्य सचिव डॉ. शशांक गोयल ने समापन सत्र में कमजोर समूहों के मानव अधिकारों की रक्षा में सामूहिक जिम्मेदारी की आवश्यकता पर प्रकाश डाला

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत देश के विभिन्न भागों में मानव अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए अपने दायरे का विस्तार करने के लिए ठोस प्रयास कर रहा है। आयोग ने 9 से 11 सितंबर, 2024 तक तेलंगाना के महिला एवं बाल विकास और समाज कल्याण विभागों के प्रतिनिधियों और पुलिस कर्मियों सहित लगभग 50 अधिकारियों के लिए मानवाधिकारों पर प्रशिक्षकों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। यह तेलंगाना के डॉ. एमसीआर मानव संसाधन विकास संस्थान में विधि एवं लोक प्रशासन केंद्र के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया था। इसका उद्देश्य प्रतिभागियों को उनके संबंधित क्षेत्रों में मानव अधिकार को बढ़ावा देने के लिए ज्ञान से लैस करना था।

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इस कार्यक्रम में शिक्षा जगत, कानून प्रवर्तन और न्यायपालिका के विशेषज्ञ एक साथ शामिल हुए। समापन सत्र को संबोधित करते हुए तेलंगाना सरकार के महानिदेशक और विशेष मुख्य सचिव डॉ. शशांक गोयल ने मानव अधिकारों की रक्षा में सामूहिक जिम्मेदारी के महत्व पर जोर दिया, खासकर कमजोर समूहों के लिए। उन्होंने प्रतिभागियों की समर्पण भावना की सराहना की और इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने में एनएचआरसी के प्रयासों की भी सराहना की।

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प्रशिक्षण सत्रों में मानव अधिकारों के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया, जिनमें अन्य के अलावा, संवैधानिक प्रावधान, मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, मानवाधिकारों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय तंत्र, महिला अधिकार, बच्चों के अधिकार और अन्य कमजोर समूहों के अधिकार शामिल थे। कार्यक्रम में एनएचआरसी और विभिन्न राज्य मानव अधिकार आयोगों के कामकाज पर चर्चा भी हुई।

पहले दिन के सत्र में पाठ्यक्रम का संक्षिप्त विवरण, मानव अधिकारों पर संवैधानिक प्रावधान शामिल थे, इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LABASNA) के प्रोफेसर (सेवानिवृत्त) प्रोफेसर ए.एस. रामचंद्र द्वारा पारस्परिक सत्र आयोजित किए गए। इसके बाद महिला अधिकारों पर केंद्रित सत्र हुए, जिसमें एमसीआर एचआरडी संस्थान के सलाहकार श्रीनिवास माधव ने एक प्रेजेंटेशन दी। उन्होंने संविधान और अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत महिलाओं के अधिकारों पर चर्चा की। बाद में, श्री उमापति, आईपीएस ने दुर्व्यापार, घरेलू हिंसा और कन्या भ्रूण हत्या सहित महत्वपूर्ण महिला मुद्दों को संबोधित करते हुए एक सत्र का नेतृत्व किया।

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दूसरे दिन, श्री दामोधर, आईपीएस (सेवानिवृत्त) ने भारत में मानव अधिकार संस्थानों और मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 का संक्षिप्त विवरण दिया। श्री श्रीनिवास माधव ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 और दिव्यांग व्यक्तियों और ट्रांसजेंडर के अधिकारों पर ध्यान आकर्षित किया। इसके बाद कन्या भ्रूण हत्या, दिव्यांग व्यक्ति अधिनियम और मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम पर चर्चा हुई।

तीसरे दिन, श्रीमती जी. झांसी रानी, पाठ्यक्रम समन्वयक, डॉ. एमसीआर मानव संसाधन विकास संस्थान ने सक्रिय बाईस्टैंडर हस्तक्षेप और मानव अधिकार उल्लंघन के मामलों में हस्तक्षेप के महत्व पर एक सत्र लिया। डॉ. माधवी रावुलपति, वरिष्ठ संकाय और प्रमुख - सेंटर फॉर पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (सीपीए), डॉ. एमसीआर एचआरडी आईटी ने कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न और शिकायतों को संबोधित करने के लिए उपलब्ध तंत्रों के बारे में बात की।

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प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम दक्षिणी क्षेत्र में मानव अधिकारों के संवर्धन और समर्थन को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो मानव अधिकारों के सम्मान और समझ को बढ़ावा देने के लिए एनएचआरसी की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एनएचआरसी सभी के मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों, उनके अर्ध-सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों और मानव अधिकार संरक्षकों के साथ मिलकर नए जोश के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। आयोग व्यक्तिगत गरिमा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए समर्पित है, एक न्यायपूर्ण और समतापूर्ण समाज के आवश्यक स्तंभ के रूप में मानव अधिकारों के उद्देश्य को आगे बढ़ाता है।