राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग,भारत द्वारा कार्यस्थल और सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा विषय पर केंद्रित संगोष्ठी आज नई दिल्ली में कई सुझावों के साथ संपन्न हुई



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली: 9 सितंबर, 2024

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग,भारत द्वारा कार्यस्थल और सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा विषय पर केंद्रित संगोष्ठी आज नई दिल्ली में कई सुझावों के साथ संपन्न हुई

एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती विजया भारती सयानी ने कहा कि सार्वजनिक और कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा को समग्र दृष्टिकोण से संबोधित करने की आवश्यकता है

अपराधियों को जवाबदेह ठहराने के लिए मौजूदा कानूनों के कार्यान्वयन को मजबूत करने पर जोर दिया

संगोष्ठी के दौरान प्रोफ़ेसनल संस्थानों और संगठनों के संयुक्त तत्वाधान में कार्यस्थल और सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शहरों और संस्थानों की सुरक्षा और सामाजिक ऑडिट का सुझाव दिया गया

स्कूलों, कॉलेजों, कार्यस्थलों, सभी प्रमुख संगठनों के शीर्ष प्रबंधन के साथ-साथ कानून प्रवर्तन प्रणालियों सहित सभी स्तरों पर जेंडर संवेदीकरण, नागरिक समाज की मदद से महिलाओं की सुरक्षा के प्रति निवारक दृष्टिकोण अपनाने के लिए आवश्यक है।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत द्वारा नई दिल्ली में इंडिया हैबिटेट सेंटर में कार्यस्थल और सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी आज महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के लिए कई सुझावों के साथ संपन्न हुई। इसकी अध्यक्षता करते हुए एनएचआरसी, भारत की कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती विजया भारती सयानी ने कहा कि देश में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कानूनी प्रावधानों और नीतियों के संदर्भ में बहुत प्रयास किए गए हैं। फिर भी उन्हें कार्यस्थल और सार्वजनिक स्थानों दोनों पर बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जिन्हें समग्र दृष्टिकोण से संबोधित करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ हिंसक यौन दुर्व्यवहार की घटनाएं अलग-थलग नहीं हैं, और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए हमारी ओर से सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने मौजूदा कानूनों के कार्यान्वयन को मजबूत करने और अपराधियों को जवाबदेह ठहराने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार करके, जनता को जागरूक करके और सभी हितधारकों के बीच सहयोग के माध्यम से उत्पीड़न से बचे लोगों के लिए बेहतर समर्थन तंत्र बनाकर किया जाना चाहिए।

इससे पहले, आज चर्चा की शुरुआत करते हुए, एनएचआरसी के महासचिव, श्री भरत लाल ने भारत में महिलाओं, खासकर 18-30 वर्ष की आयु के बीच की महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि भारत में अधिक से अधिक महिलाएं कार्यबल और सार्वजनिक स्थानों में प्रवेश कर रही हैं। हालांकि, उनके खिलाफ अपराध की कई घटनाएं भी हो रही हैं। उन्होंने कहा कि एक समाज के रूप में, महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास होना चाहिए।

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एनएचआरसी के महानिदेशक श्री अजय भटनागर ने बताया कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा किस तरह असमान शक्ति गतिशीलता से प्रेरित है। उन्होंने निष्पक्षता के बजाय समानता की तलाश करने, महिलाओं और लड़कियों की जरूरतों को पहचानने और उनके प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि मीडिया और फिल्मों को यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि महिलाओं और लड़कियों का पीछा करने जैसी घटनाओं को महिमामंडित न किया जाए क्योंकि इनका समाज की मानसिकता और सोच पर सीधा असर पड़ता है। उन्होंने समाज को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने के लिए सभी स्तरों पर पुरुषों और लड़कों को शामिल करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

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एनएचआरसी की संयुक्त सचिव श्रीमती अनीता सिन्हा ने कहा कि एक महिला द्वारा झेला गया आघात सीधे तौर पर उसके मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है, साथ ही अन्य महिलाओं और लड़कियों को घर से बाहर निकलने से भी रोक सकता है। यौन उत्पीड़न की कुछ हालिया घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए सामूहिक रूप से काम करने का समय आ गया है।

विभिन्न मंत्रालयों, राष्ट्रीय आयोगों और पुलिस के प्रतिनिधियों ने कार्यस्थल और सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा की गई कई पहलों पर विचार-विमर्श किया। चर्चा की गई कुछ पहलों में निर्भया फंड, मिशन शक्ति, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, शी-बॉक्स 2.0, सीसीटीवी कैमरों के जरिए पुलिस द्वारा निगरानी बढ़ाना, शहर में अंधेरे स्थानों पर रोशनी की व्यवस्था करना, स्कूल और कॉलेज स्तर पर जेंडर संवेदीकरण कार्यक्रम और इसी तरह के अन्य कार्यक्रम शामिल हैं।

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चर्चा के दौरान सामने आए कुछ सुझाव निम्नवत हैं ;

1. प्रोफेशनल संस्थानों और संगठनों के सहयोग को प्राथमिकता देते हुए कार्यस्थल और सार्वजनिक स्थानों में प्रवेश करने पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के मामले में वर्तमान में मौजूद खामियों और मुद्दों के बारे में बेहतर जानकारी प्राप्त करने के लिए शहरों और संस्थानों की सुरक्षा और सामाजिक ऑडिट किए जाने की आवश्यकता है,

2. घर और बाहर दोनों जगह महिलाओं की सुरक्षा में सुधार के लिए नीतियों का ठोस परिणाम सामने आए; यह सुनिश्चित करने के लिए कानूनों के बेहतर कार्यान्वयन की आवश्यकता है

3. स्कूलों, कॉलेजों, कार्यस्थलों, सभी प्रमुख संगठनों के शीर्ष प्रबंधन के साथ-साथ कानून प्रवर्तन प्रणालियों में सभी स्तरों पर जेंडर संवेदीकरण सुनिश्चित करना, ताकि नागरिक समाज की मदद से महिलाओं की सुरक्षा के प्रति निवारक दृष्टिकोण अपनाया जा सके। 4. मीडिया को भी महिलाओं के खिलाफ अपराधों की रिपोर्टिंग के लिए दिशा-निर्देश बनाने की आवश्यकता है;

5. अपराधों की रिपोर्टिंग में दर्शकों के हस्तक्षेप को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्रित प्रयास किए जाने की आवश्यकता है;

6. एक समाज के रूप में, महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे को सभी की सामूहिक जिम्मेदारी के रूप में देखा जाना चाहिए। किसी बड़ी घटना के घटित होने पर प्रतिक्रिया करने के बजाय सहयोगात्मक रूप से समर्थन करना अनिवार्य है;

7. महिलाओं को सुरक्षित और सहज महसूस कराने के लिए सभी कार्यस्थलों पर सक्रिय आंतरिक शिकायत समितियां (आईसीसी) सुनिश्चित करें।

आयोग अपनी संस्तुतियों को अंतिम रूप देने के लिए इस तरह के अन्य सुझावों पर विचार-विमर्श करेगा। संगोष्ठी में एनसीडब्ल्यू की सदस्य सचिव सुश्री मीनाक्षी नेगी, एनसीपीसीआर की सदस्य सचिव सुश्री रूपाली बनर्जी सिंह, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री प्रीतम यशवंत, दिल्ली पुलिस की विशेष आयुक्त (प्रशिक्षण) सुश्री छाया शर्मा, पूर्व आईपीएस सुश्री मीरान चड्ढा बोरवणकर, यूएन वूमेन इंडिया की उप प्रतिनिधि सुश्री कांता सिंह, एप्पल इंडिया के प्रबंध निदेशक श्री विराट भाटिया, दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की जीएम-एचआर श्रीमती जय श्री शर्मा, इन्वेस्ट इंडिया की वीपी-मानव संसाधन शिल्पा लवानिया, इन्वेस्ट इंडिया की सीनियर एवीपी-लीगल किरण बिश्नोई, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली में विधि की प्रोफेसर प्रोफेसर रितु गुप्ता, एसएडब्ल्यूएफ आईएन की सह-संस्थापक सुश्री सुनीता धर, ब्रेकथ्रू ट्रस्ट की मीडिया प्रमुख सुश्री वर्षा चक्रवर्ती, जागोरी की परियोजना प्रबंधक सुश्री अमृता ठाकुर, यूएन वूमेन इंडिया की ईवीएडब्ल्यू की कार्यक्रम विशेषज्ञ सुश्री पोलोमी पाल शामिल हुईं।