राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री ए. के. मिश्रा ने कहा कि राज्यों को कुष्ठ रोग प्रभावित व्यक्तियों के साथ भेदभाव करने वाले कानूनों को निरस्त करने और उनके जीवन-यापन की स्थिति में सुधार के लिए कल्याणकारी योजनाओं के उचित कार्यान्वयन



....को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

नई दिल्ली, 20 जुलाई, 2021

न्यायमूर्ति श्री ए. के. मिश्रा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत ने आज कहा कि राज्यों को उन कानूनों और विभिन्न प्रावधानों को निरस्त करने की आवश्यकता है, जो कुष्ठ रोग प्रभावित व्यक्तियों के साथ भेदभाव कर रहे हैं। इन्हें उन नीतियों और ढांचे से बदलने की जरूरत है जो उनके मानवाधिकारों की रक्षा करेंगे।

न्यायमूर्ति मिश्रा आयोग की ओर से आयोजित बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे, जिसमें कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि विभिन्न हितधारकों के बीच आवश्यक जागरूकता पैदा करने और जागरूक करने के लिए ठोस प्रयास किए जाने की आवश्यकता है कि कुष्ठ रोग एक बहुत ही संक्रामक बीमारी नहीं है और इससे प्रभावित लोगों को ठीक किया जा सकता है और इन्‍हें मुख्य धारा में एकीकृत किया जा सकता है तथा वे अपने परिवार के साथ रह सकते हैं।

कुष्ठ रोग प्रभावित व्यक्तियों की कॉलोनियों की खराब स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए, एनएचआरसी अध्यक्ष ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ कठोर और ठोस उपाय किए जाने की आवश्यकता है कि योजनाएं और धन कुष्ठ रोग प्रभावित व्यक्तियों के कल्याण एवं उनकी कालोनियों के लिए है तथा इन्‍हें पूरी ईमानदारी के साथ लागू किया जाए और निर्धारित धन का उचित उपयोग किया जाए।

उन्होंने कहा कि नागरिक समाज और गैर सरकारी संगठनों को भी कुष्ठ रोग प्रभावित व्यक्तियों के हितों में सुधार लाने और उनकी कॉलोनियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए और अधिक ईमानदारी से काम करने की जरूरत है। कुष्ठ रोग प्रभावित व्यक्तियों को उनके घरों में वापस जाने के लिए मनाने के लिए भी ठोस प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।

बैठक में एनएचआरसी के सदस्य न्यायमूर्ति श्री एम. एम. कुमार और श्री राजीव जैन, महासचिव, श्री बिंबाधर प्रधान, अपर सचिव, श्री आर. के. खंडेलवाल, विशेषज्ञ सुश्री विनीता शंकर, सासाकावा इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन की पूर्व कार्यकारी निदेशक और कुष्ठ रोग मिशन इंडिया की सुश्री निकिता सारा सहित अन्य शामिल थे।

चर्चा के दौरान, यह दृढ़ता से महसूस किया गया कि कई समस्याओं के बावजूद, कोविड-19 महामारी ने कुष्ठ रोग प्रभावित व्यक्तियों की स्थिति को और खराब कर दिया, विशेष रूप से उनके भोजन और आजीविका के संबंध में।

चर्चा के दौरान सामने आए कुछ अन्य महत्वपूर्ण सुझाव इस प्रकार हैं:-

1. राज्यों को यह जानने के लिए एक अध्ययन करने की आवश्यकता है कि देश में बीमारी घट रही है या बढ़ रही है, यह समझने के लिए हर साल कितने कुष्ठ रोग मामले सामने आ रहे हैं;

2. राज्यों को कुष्ठ रोग प्रभावित व्यक्तियों की कॉलोनियों की संख्या और वहां रहने वाले लोगों की संख्या जानने के लिए एक अध्ययन करने की आवश्यकता है;

3. राज्यों को सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में मदद करने के लिए राज्य तंत्र और कुष्ठ रोग प्रभावित व्यक्तियों की कॉलोनियों के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करने के लिए एक नोडल कल्याण अधिकारी नियुक्त करने की आवश्यकता है;

4. कुष्ठ रोग प्रभावित लोगों के बच्चों की शिक्षा और परामर्श पर ध्यान दें ताकि वे इस कलंक को दूर कर सकें और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने में मदद कर सकें;

5. अलग-अलग कॉलोनियों में रहने वाले कुष्ठ रोग प्रभावित लोगों को स्वच्छता, पानी, बिजली और स्वास्थ्य देखभाल, वित्तीय सहायता सहित अन्य बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना सुनिश्चित करें;

6. सम्मान के साथ स्थायी आजीविका अर्जित करने के लिए उन्हें उनके सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए कौशल प्रदान करना;

7. राज्यों को कुष्ठ रोग प्रभावित व्यक्तियों के कल्याण के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को दिए गए धन की निगरानी की एक प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता है ताकि धन का उचित उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

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