राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के दृढ़तापूर्ण हस्तक्षेप के कारण उत्तर प्रदेश सरकार ने बादां में अपहरण तथा बलात्कार के मामले में एफआईआर दर्ज की और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की : पीड़िता को राहत के तौर पर 5 लाख रुपये का भुगतान भी किया।
नई दिल्ली, 17/05/2021
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत के हस्तक्षेप के परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जिला बादां में अपहरण तथा बलात्कार के एक मामले में पुलिस कार्रवाई में देरी पर आरोपी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही, दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई और पीड़िता को राहत के तौर पर पांच लाख रुपये का भुगतान किया गया।
आयोग को पीड़िता के पिता से 14/09/2016 को शिकायत मिली थी। कथित तौर पर, 31/08/2016 को पीड़िता का अपरहरण कर लिया गया और उसे चित्रकूट, मेहर और अन्य स्थानों पर ले जाया गया जहां उसके साथ कई बार बलात्कार किया गया। 01/09/2016 को शिकायतकर्ता ने मामले की सूचना पुलिस को दी। 03/09/2016 को आरोपी के पिता ने शिकायतकर्ता की बेटी को पुलिस के सामने पेश किया, जिसने उसके अपहरण और बलात्कार की कहानी बताई। लेकिन पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया और पीड़िता को दो दिन तक थाने में रखा। उसका न तो चिकित्सीय परीक्षण करवाया गया और न ही उसका बयान अदालत में दर्ज कराया गया। शिकायतकर्ता के बार-बार अनुरोध करने के बाद, एक एनसीआर दर्ज किया गया और मामला बंद कर दिया गया। इसके अलावा आरोपी की ओर से धमकी मिलने पर पीड़िता के पिता ने आयोग से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।आयोग के नोटिस के बाद, जब राज्य अधिकारियों से मामले में कार्रवाई की अपेक्षित रिपोर्ट प्राप्त हुई, तो आयोग ने जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक, बादां, उत्तर प्रदेश को अपेक्षित रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए सम्मन जारी किए। आयोग के निर्देशों के अनुपालन में, पुलिस अधीक्षक, बादां, उत्तर प्रदेश द्वारा दिनांक 08.01.2021 की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी जिसमें बताया गया था कि कथित घटना आईपीसी की धारा 498 के तहत एनसीआर संख्या 127/2016 से संबंधित है। लिखित शिकायत पर, पुलिसकर्मियों के खिलाफ पुलिस थाना अत्रा, जिला बादां में आईपीसी की धारा 366/376 के तहत एफआईआर संख्या 294/2016 दर्ज की गई थी। आरोपी को 01/10/2017 को गिरफ्तार किया गया था।
इसके अलावा, आयोग के निर्देश के अनुपालन में सरकार द्वारा 5 लाख रुपये का मौद्रिक मुआवजा स्वीकृत किया गया था, जिसे आरटीजीएस के माध्यम से शिकायतकर्ता के खाते में जमा किया गया था।