राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के हस्तक्षेप से सरकारी कर्मचारी की रुकी हुई सेवानिवृत्ति देय राशि और देरी के लिए पीड़ित परिवार को 1 लाख रुपये की राहत का भुगतान सुनिश्चित हुआ



नई दिल्ली, 18 अगस्त, 2022

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत द्वारा तीन साल से अधिक समय से सेवानिवृत्ति बकाया का भुगतान न करने के मामले में हस्‍तक्षेप से, डाक विभाग द्वारा न केवल उसे जारी किया गया, बल्कि शिकायतकर्ता को राहत के रूप में 1 लाख रुपये का भुगतान भी किया गया।

आयोग ने पीड़ित सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी के बेटे द्वारा 2021 में की गई शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया था। कथित तौर पर, उनके पिता, डाक और टेलीग्राफ कार्यालय, दिल्ली विभाग के अनुभाग अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त हुए, लेकिन उनकी गंभीर बीमारी के कारण वे वर्ष 2017 में अपना जीवन प्रमाण पत्र जमा नहीं कर सके, इसलिए उनकी पेंशन रोक दी गई। बाद में, उन्होंने वर्ष 2018 में अपेक्षित जीवन प्रमाण पत्र और सहायक दस्तावेज जमा किए, लेकिन फिर भी संबंधित अधिकारियों से कई अनुरोधों के बावजूद उन्हें अपनी पेंशन नहीं मिल सकी। इस बीच, सितंबर, 2020 में उनका निधन हो गया, लेकिन उनके सेवा निवृत्ति लाभ का भुगतान नहीं किया गया।

आयोग के नोटिस के जवाब में, डाक विभाग द्वारा आरोपों को सही पाया गया। इसमें बताया गया कि पीड़ित सेवानिवृत्त कर्मचारी की 12,36,235/- रुपये की आहरित पेंशन की कार्रवाई की जा चुकी है। इसके अलावा, विभागीय कार्रवाई के रूप में सीसीएस (सीसीए) नियम, 1965 के तहत चूक करने वाले अधिकारी को देरी के लिए एक लिखित चेतावनी जारी की गई थी।

मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, आयोग ने पाया कि पेंशनभोगी अपने जीवनकाल के दौरान अपने वैध पेंशन बकाया से वंचित था और उसके बाद उसके बेटे को तीन साल से अधिक समय तक दुख, मानसिक पीड़ा और अनुचित उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा। लापरवाही के इस कृत्य ने मृतक पीड़ित और शिकायतकर्ता के मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है जिसके लिए डाक विभाग प्रत्‍यक्ष रूप से उत्तरदायी है और सिफारिश की कि डाक विभाग शिकायतकर्ता को राहत के रूप में 1 लाख रुपये का भुगतान करें।

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