राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा केन्द्र और दिल्ली सरकार को कोविड ड्यूटी में तैनात संविदा डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ को किसी भी वित्तीय या बीमा कवर के कथित गैर प्रावधान पर नोटिस।



नई दिल्ली, 19/05/2021

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने एक शिकायत के आधार पर, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और दिल्ली सरकार से केन्द्र या राज्य सरकार द्वारा रोगियों की देखभाल के लिए तैनात सभी संविदा चिकित्सा और पैरामेडिकल स्टाफ को पर्याप्त चिकित्सा देखभाल और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा।

आयोग ने सचिव, केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मुख्य सचिव, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार को नाटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर इस मामले में की गई कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल के आईसीयू में कोविड संक्रमण से भर्ती सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र अस्पताल, दिल्ली के सीनियर रेजिडेंट पीडियाट्रिक्स, डॉ. अमित गुप्ता को पर्याप्त वित्तीय और अन्य सहायता प्रदान करने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए भी कहा गया है, जिन्हें सरकार से इस आधार पर कोई वित्तीय सहायता नहीं मिल रही है कि उन्हें अनुबंध के आधार पर रखा गया था।

आयोग ने पाया है कि यह एक गंभीर मुद्दा है, अगर दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार के अन्य अस्पतालों के अनुबंधित डॉक्टरों/रेजिडेंट डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को ऐसी महामारी की स्थिति के दौरान लोगों की जान बचाने के लिए अपनी सेवा के दौरान बीमार पड़ने पर जीवन देखभाल चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। वर्तमान में, देश पहले से ही चिकित्सा सुविधाओं के भारी संकट का सामना कर रहा है और लोगों की जान भी जा रही है।

आगे यह भी देखा गया है कि यह नहीं भूलना चाहिए कि अस्पताल, बिस्तर, दवाएं और ऑक्सीजन आदि की व्यवस्था की जा सकती है लेकिन जमीनी स्तर पर काम करने के लिए चिकित्सा और पैरामेडिकल स्टाफ की नहीं। एक ओर देश के कल्याणकारी राज्य ने आयुष्मान भारत योजना और ऐसी अन्य योजनाओं के तहत प्रत्येक गरीब परिवार को 5 लाख रुपये का चिकित्सा बीमा प्रदान किया है; यहां तक कि कैजुअल मजदूरों को भी ईएसआईसी योजना के तहत कवर किया जाता है, लेकिन दूसरी ओर हमारे कोरोना योद्धाओं यानी संविदा चिकित्सा और पैरामेडिकल स्टाफ महामारी से लड़ने के लिए बिना किसी चिकित्सा बीमा या देखभाल के काम करने के लिए विवश हैं।

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि डॉ. अमित गुप्ता कोविड-19 से संक्रमित हो गए। अपने अस्पताल में बिस्तर नहीं मिलने के कारण उन्हें महाराजा अग्रसेन अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था। हालांकि, वहां भी उनकी हालत बिगड़ती गई और अब गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है।

कथित तौर पर, एम्स में संविदा डॉक्टरों/रेजिडेंट डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को ईएचएस (कर्मचारी स्वास्थ्य सेवा) का लाभ मिल रहा है, लेकिन दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार के अन्य अस्पतालों के संविदा डॉक्टरों/रेजिडेंट डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को समान सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। दिल्ली सरकार कोरोना योद्धाओं के परिजनों को 1,00,00,000/- (एक करोड़) रुपये की अनुग्रह राशि दे रही है, लेकिन अपने सार्वजनिक कर्तव्यों के दौरान बीमार पड़ने पर उनकी देखभाल नहीं कर रही है।