राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा केन्द्र, राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को पीएमजीकेएवाई और आईएमपीडीएस के तहत लाभार्थियों के बायोमेट्रिक सत्यापन के पूरा न होने के कारण कोविड महामारी के दौरान कथित रूप से लाभ से वंचित करने पर नोटिस।



नई दिल्ली, 20/05/2021

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने एक शिकायत पर संज्ञान लिया है जिसमें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) और सार्वजनिक वितरण प्रणाली एकीकृत प्रबंधन (आईएमपीडीएस) के तहत संचालित अन्य योजनाओं के तहत कोविड महामारी के दौरान लाभार्थियों का बायोमेट्रिक सत्यापन नहीं होने के कारण लोगों को लाभ से वंचित करने का आरोप है।

तदनुसार, आयोग ने सचिव, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग, केन्द्रीय उपभोक्ता, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय और सभी राज्यों के मुख्य सचिवों/केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को नोटिस जारी किए हैं।

समस्याग्रस्त बायोमेट्रिक सत्यापन या “सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) संचालन के एंड-टू-एंड कम्प्यूटीकरण” के मुद्दे पर की गई कार्रवाई पर चार सप्ताह के भीतर उनसे रिपोर्ट मांगी गई है।

आयोग ने विशेष रूप से मुख्य सचिव, मिजोरम सरकार को चकमा स्वायत्त जिला परिषद (सीएडीसी), जिला लवंगतलाई, मिजोरम के वसी और दामदीप गोदाम के चकमा ग्रामीणों को कथित रूप से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत आधार कार्ड/राशन कार्ड होने के बावजूद लाभ से वंचित करने पर एक सप्ताह के भीतर की गई कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

रिपोर्ट में चकमा स्वायत्त जिला परिषद (सीएडीसी) के वसी और दामदीप गोदाम के चकमा ग्रामीणों की कठिनाईयों को कम करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए। आयोग ने अपने डीआईजी (अन्वेषण) को चकमा ग्रामीणों को कथित रूप से भोजन के अधिकार से वंचित करने के संबंध में तीन दिनों के भीतर तथ्य एकत्रित करने का भी निर्देश दिया है।

आयोग ने देखा है कि लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के कम्प्यूटीकरण का उद्देश्य लोगों, विशेष रूप से गरीब और कमजोर वर्गों के लिए प्रचलित खामियों, जैसे कि खाद्यान्न का लीकेज और डायवर्जन, लाभार्थियों की पहचान में समावेशन और बहिष्करण की गलतियां आदि को दूर करके खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना है लेकिन दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले अंतिम उपयोगकर्ता के लिए इंटरनेट/मोबाइल कनेक्टिविटी की उपलब्धता की कमी पर भी ध्यान दिया जाना है। इस गंभीर महामारी के समय में सबसे महत्वपूर्ण बात यह सुनिश्चित करना है कि पीएमजीकेएवाई योजना के लाभार्थी अपने अधिकारों से वंचित न रहें।