राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने नाविकों के अधिकारों के उल्लंघन और बार्ज त्रासदी पर स्वतः संज्ञान लिया: सचिव, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, अध्यक्ष, तेल और प्राकृतिक गैस निगम, भारतीय तटरक्षक और शिपिंग के महानिदेशकों को नोटिस जारी किया।



नई दिल्ली, 23/05/2021

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने 22 मई 2021 को छपे एक समाचार लेख पर स्वतः संज्ञान लिया है जिसमें भारत में विभिन्न समुद्री नाविकों के अधिकारों पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है, जो देश में सबसे खराब अपतटीय आपदा के मद्देनजर फिर से सामने आएं हैं जिसके कारण 17 मई 2021 को बार्ज पी - 305 अरब सागर में डूबने से 49 श्रमिकों की मौत हुई और अन्य की तलाश जारी है। कथित तौर पर मूल्यवान जीवन का नुकसान होने से बचाया जा सकता था यदि सभी शामिल एजेंसियों ने चक्रवात के आने से पहले के और चक्रवात के दौरान मानक सुरक्षा नियमों और प्रोटोकॉल का पालन किया होता।

आयोग ने देखा कि ऐसा प्रतीत होता है कि महानिदेशक, शिपिंग, ओएनजीसी अधिकारियों और तटरक्षक बल को पता था कि चक्रवात ताउते के मद्देनजर, एक साधारण बार्ज पर सवार श्रमिकों के जीवन के लिए संभावित खतरा था, लेकिन ऐसा लगता है कि पीड़ितों को सुरक्षित स्थानों पर लाने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए और उन्हें असहाय छोड़ दिया गया था। यह पीड़ितों के जीवन के अधिकार के उल्लंघन का एक गंभीर मामला है। तदनुसार, आयोग ने (1) सचिव, केन्द्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (2) अध्यक्ष, तेल और प्राकृतिक गैस निगम (3) महानिदेशक, भारतीय तटरक्षक और (4) महानिदेशक, शिपिंग, मुम्बई को नोटिस जारी करके 6 सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

रिपोर्ट में घटना के समय जहाज पर सवार व्यक्तियों, चक्रवात के संबंध में अलर्ट प्राप्त होने के बाद उठाए गए कदम, लापता व्यक्ति, अब तक बचाए गए व्यक्तियों के स्वास्थ्य की स्थिति के साथ-साथ आज की तारीख तक के बचाव अभियान की स्थिति के बारे में सटीक डेटा शामिल होना चाहिए।

आयोग कथित तौर पर मामलें में आदेशित जांच की स्थिति, जिम्मेदार लोक सेवकों के खिलाफ की गई कार्रवाई और मृतकों के परिजनों और घायल श्रमिकों को दी गई राहत के बारे में भी जानना चाहेगा।

आयोग की राय है कि प्रत्येक नाविक की सुरक्षा को महत्व दिया जाना चाहिए और भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचने के लिए संस्थागत विकृतियों और प्रक्रियात्मक विसंगतियों, यदि कोई हो, और जैसा कि समाचार लेख में उल्लेख किया गया है, को ठीक किया जाना चाहिए।

श्री सी. उदय भास्कर, एक सुरक्षा विशेषज्ञ, जिन्होंने भारतीय नौसेना के साथ भी काम किया है, के विश्लेषणात्मक लेखन के अनुसार, कुल 261 कर्मचारी, जो तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के साथ एक असाइनमेंट पर थे, कथित तौर पर बार्ज (जिसे पापा-305 भी कहा जाता है) पर सवार थे जब यह घटना हुई थी। बदकिस्मत बार्ज पर सवार, कुल 49 पीड़ितों के मारे जाने की आशंका है, जबकि 186 लोगों को नौसेना ने बेहद प्रतिकूल मौसम में बचा लिया है। यह भी कहा गया है कि कई श्रमिकों का अभी कोई पता नहीं है और बड़े पैमाने पर बचाव अभियान जारी है।

कथित तौर पर, अनुबंध श्रमिकों को हमेशा सीढ़ी के निचले सिरे पर रखा जाता है और उनकी सुरक्षा के लिए बहुत कम मानदंड और विनियम बनाए जाते हैं। लेखक ने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि ओएनजीसी और उसके प्रमुख ठेकेदार इस गंभीर जमीनी हकीकत से अच्छी तरह से वाकिफ हैं। बड़ी संख्या में ऐसे नाविक हैं, विशेष रूप से अनुबंधित श्रमिक जो अपने हक के लिए आवाज नहीं उठा सकते, उन्हें हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।

आवास कार्य बार्ज (एडब्ल्यूबी) कथित तौर पर अनुबंध श्रमिकों के लिए समुद्र में अल्पविकसित शयनगृह के बराबर है और वे लकड़ी के सपाट तल पर तैरती हुई अस्थाई संरचना में निर्मित आवास, जिसे बार्ज कहा जाता है, पर रहते हैं। इनमें संचालक शक्ति नहीं होने के कारण इन्हें “डम्ब” माना जाता है जैसा कि इस बदकिस्मत बार्ज के मामले में था।

यह कहा गया है कि समुद्र में एक तेल रिंग या प्लेटफॉर्म पर एक कार्य बल को बनाए रखने में उच्च परिचालन लागत को देखते हुए, लागत-कटौती और पेनी-पिंचिंग अपतटीय हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में की जाती है तथा इस संबंध में यह विशेष संरचना भी कोई अपवाद नहीं है।

लेखक ने एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है जिसमें कहा गया है कि भारत में एक विषम समुद्री क्षेत्र प्रबंधन पैटर्न है, जिसमें डोमेन क्षमता को नजरअदांज कर दिया जाता है और सिविल सेवकों को शीर्ष नौकरी के लिए प्राथमिकता दी जाती है। डीजी, शिपिंग भी कथित तौर पर एक ऐसा ही पद है जिस पर ऐसे सिविल सेवक को भर्ती किया जाता है जिसे समुद्री अनुभव या ज्ञान नहीं होता या बहुत कम ज्ञान होता है। लेखक ने मांग करते हुए सवाल किया है कि 261 लोगों वाले इस डम्ब बार्ज को समुद्र में रहने की अनुमति क्यों दी गई, जबकि इसके डूबने से एक सप्ताह पहले चक्रवात की चेतावनी मिली थी?