राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने मणिपुर विश्वविद्यालय के साथ मिलकर भारत में मानव अधिकारों पर 2 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया।



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली, 30 अगस्त 2024

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने मणिपुर विश्वविद्यालय के साथ मिलकर भारत में मानव अधिकारों पर 2 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया।

इस कार्यक्रम में 100 से अधिक छात्र, संकाय सदस्य और न्यायविदों ने भाग लिया और मानव अधिकारों के विभिन्न आयामों पर चर्चा की।

महासचिव श्री भरत लाल ने अपने समापन भाषण में संवैधानिक मूल्यों - समानता, न्याय, स्वतंत्रता और बंधुत्व पर जोर दिया।

उन्होंने छात्रों से अधिकारों और कर्तव्यों पर एक साथ विचार करने, अहिंसा की संस्कृति लाने और सभी मनुष्यों के मानव अधिकारों का सम्मान करने की अपील की।

मणिपुर विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) के संयुक्‍त तत्‍वावधान में30 अगस्त 2024 को ‘भारत में मानव अधिकारों पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम’ सफलतापूर्वक संपन्न किया। मणिपुर विश्वविद्यालय के कोर्ट हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम में 100 से अधिक कानूनी विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, मानव अधिकारसंरक्षकों और विद्यार्थियों ने भाग लिया।

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कार्यक्रम का समापन एनएचआरसी के महासचिव श्री भरत लाल द्वारा दिए गए समापन भाषण के साथ हुआ। अपने संबोधन में श्री लाल ने संविधान की प्रस्तावना, मौलिक अधिकारों और राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने न्याय प्राप्त करने के लिए नागरिकों के लिए उपलब्ध संवैधानिक और कानूनी उपायों, विशेष रूप से न्याय प्राप्त करने के लिए अनुच्छेद 32 पर भी बात की। उन्होंने नागरिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक अधिकारों को बनाए रखने में सरकार की जिम्मेदारी दोहराई।

श्री लाल ने संविधान में निहित लोगों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया, न्याय प्राप्त करने के लिए हिंसा के बजाय संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों पर भरोसा करने का आग्रह किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि मानव अधिकारोंके संरक्षण के लिए एक आंतरिक प्रतिबद्धता होनी चाहिए, न कि बाहरी रूप से थोपा गया कर्तव्य।

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श्री भरत लाल ने इस बात पर भी जोर दिया कि प्रस्तावना, जो कि संविधान की आत्माहै , समानता, न्याय, स्वतंत्रता और बंधुत्व के मूल आदर्शों को समाहित करती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंसा का कोई भी रूप मूल रूप से मानव अधिकारों का उल्लंघन है, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि युद्ध, आतंकवाद और हिंसा मानव जीवन और गरिमा के लिए सबसे बड़े खतरों में से हैं। अपने संबोधन में, श्री लाल ने विद्यार्थियों और शिक्षकों से सभी मनुष्यों के मानव अधिकारों के लिए शांति और सम्मान को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने का आग्रह किया और इस बात पर जोर दिया कि ये प्रयास युवा पीढ़ी के लिए समृद्धि और उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं।

उन्होंने गुवाहाटी में एनएचआरसी के हाल ही में आयोजित शिविर बैठक पर भी प्रकाश डाला, जहां मणिपुर में कथित मानव अधिकार उल्लंघन के 25 मामलों पर विचार किया गया। श्री लाल ने सभी के लिए मानव अधिकारोंसंरक्षण और संवर्धन के लिए एनएचआरसी की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, तथा मानव अधिकारों का सम्मान जीवन का एक तरीका बन जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक संकल्प और निरंतर प्रयासों का आह्वान किया। उन्होंने जीवन को बेहतर बनाने और सभी के लिए गरिमा सुनिश्चित करने के लिए साझेदारी को प्रोत्साहित करते हुए समापन किया।

कार्यक्रम में मानव अधिकारों के महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा करने वाले आठ प्रमुख सत्र शामिल थे। इस कार्यक्रम में कानूनी विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं सहित 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। पहले दिन, पूर्व डीन प्रोफेसर रमेशचंद्र बोरपात्रगोहेन ने मानव अधिकार सिद्धांतों और प्रथाओं के अवलोकन के साथ सत्र की शुरुआत की, उसके बाद धनमाजुरी विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ एन प्रमोद सिंह ने भारत में मानव अधिकार संस्थानों की भूमिका पर चर्चा की। माननीय न्यायमूर्ति ख. नोबिन सिंह ने मानवाधिकार और आपराधिक न्याय प्रणाली के अंतर्संबंध पर प्रकाश डाला, जबकि श्री कैशम प्रदीपकुमार, माननीय अध्यक्ष एमसीपीसीआर ने मणिपुर में बाल अधिकार चुनौतियों पर बात की।महिला एक्शन फॉर डेवलपमेंट की सचिव श्रीमती सोबिता मंगसताबम ने लैंगिक न्याय में गैर सरकारी संगठनों की भूमिका पर प्रकाश डाला, और मणिपुर के मानव अधिकार कानून नेटवर्क के निदेशक श्री मेइहोबाम राकेश ने गिरफ्तारी और हिरासत पर संवैधानिक सुरक्षा उपायों पर प्रकाश डाला। इम्फाल टाइम्स के मुख्य संपादक श्री रिंकू खुमुकचम ने मानव अधिकारोंके संवर्धन और संरक्षण में मीडिया की भूमिका पर चर्चा की।

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यह कार्यक्रम उत्तर-पूर्व में मानव अधिकार शिक्षा और समर्थन को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें मानव अधिकारों के सम्मान और समझ को बढ़ावा देने के लिए एनएचआरसी की निरंतर प्रतिबद्धता है। एनएचआरसी मानव अधिकारोंके संरक्षण और संवर्धन तथा प्रत्येक मनुष्य के साथ सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार करने के लिए, जीवन के एक तरीके के रूप में, केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों, उनके अर्ध-सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों, मानव अधिकारसंरक्षकों, विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं के साथ साझेदारी में नए जोश के साथ काम करना जारी रखता है।

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