राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों जिनकी आबादी एक लाख से भी कम है, उनके जीवन के लिए खतरा महसूस करता है जैसा कि मीडिया रिपोर्टस में बतलाया गया है कि उनमें से बहुत से कोविड-19 से संक्रमित हैं; एनएचआरसी केंद्र और राज्यों को उनके...



राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों जिनकी आबादी एक लाख से भी कम है, उनके जीवन के लिए खतरा महसूस करता है जैसा कि मीडिया रिपोर्टस में बतलाया गया है कि उनमें से बहुत से कोविड-19 से संक्रमित हैं; एनएचआरसी केंद्र और राज्यों को उनके मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए परामर्शी जारी करता है।

नई दिल्ली, 04 जून, 2021

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी), जिनमें से कई में कोविड-19 संक्रमण के प्रसार के बारे में मीडिया रिपोर्टों को ध्यान में रखते हुए उनके मानव अधिकारों का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए एक परामर्शी जारी की है। 2011 की जनगणना के अनुसार इनकी जनसंख्या एक लाख से भी कम है।

आयोग ने अपने महासचिव, श्री बिंबाधर प्रधान के माध्यम से केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय/विभागों के सचिवों, राज्यों के मुख्य सचिवों और केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों को लिखे पत्र में परामर्शी में उल्लेखित अपनी संस्तुतियों के कार्यान्वयन के लिए कहा है और चार सप्ताह के भीतर इस पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट की मांग की है।

देश में लगभग 104 मिलियन अनुसूचित जनजातियों (एसटी) में से 75 ऐसे समूह हैं, जिन्हें भारत सरकार द्वारा और अधिक हाशिए पर रखा गया है और विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) के रूप में पहचाना गया है। यह प्रोद्योगिकी के पूर्व-कृषि स्तर, सापेक्ष भौतिक अलगाव, स्थिर जनसंख्या, अत्यंत कम साक्षरता और अर्थव्यवस्था के निर्वाह स्तर के अस्तित्व पर आधारित है।

परामर्शी जारी करते हुए, आयोग ने पाया है कि कई पीवीटीजी पहले से ही विलुप्त होने के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं और, यदि कोविड-19 उन्हें संक्रमित करता है, तो वे जीवित नहीं रह पाएंगे, जो मानवता और मानव जाति की विविधता के लिए एक बड़ी क्षति होगी। महामारी के इस प्रचलित संदर्भ में, पीवीटीजी के समग्र मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए और साथ ही उनके स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं और दुर्गम, दूर-दराज, पहाड़ी और वन क्षेत्रों में फैले उनके प्राकृतिक रूप से अलग-थलग रहने वाले आवासों को ध्यान में रखते हुए, एक परामर्शी जारी करना अनिवार्य हैं।

सचिव, जनजातीय कार्य मंत्रालय, और राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव/प्रशासक इस परामर्शी के कार्यान्वयन के लिए किए गए उपायों के संबंध में कोविड-19 की समाप्ति तक राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगें। इस संबंध में, इस परामर्शी के कार्यान्वयन के लिए जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया जाएगा। डीएम इस परामर्शी का पीवीटीजी की स्थानीय भाषा/बोली में अनुवाद करवाएंगे और उनके बीच इसका प्रसार सुनिश्चित करेंगे।

कुछ महत्वपूर्ण संस्तुतियां इस प्रकार हैं:

पीवीटीजी को उनके लगातार डिजिटल विभाजन की चिंता को दूर करने के लिए प्राथमिकता के साथ रिपोर्ट का शीघ्र वितरण सुनिश्चित करते हुए उनके घरों पर ही लगातार आरटी-पीसीआर परीक्षण अभियान चलाया जाएगा;

50 हजार से कम आबादी वाले सभी विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों का 60 दिनों के भीतर मोबाइल मेडिकल टीम भेजकर टीकाकरण सुनिश्चित करें;

पीवीटीजी को कोविड-19 चिकित्सा किट की आपूर्ति सुनिश्चित करें, जिसके बाद स्थानीय बोली में पीवीटीजी के आवासीय इलाकों में लगातार जागरूकता पैदा करने वाले अभियान चलाए जाने चाहिए; मानव संपर्क से बचने के लिए आवश्यक चिकित्सा किट प्रदान करने के लिए ड्रोन के उपयोग को भी बढ़ावा दिया जा सकता है;

नियुक्त कर्मचारियों द्वारा पीवीटीजी के आवासीय क्षेत्र में उचित स्वच्छता और सफाई बनाए रखने की नियमित जांच सुनिश्चित की जाए;

आसपास के पीवीटीजी के इलाकों में डॉक्टरों/नर्सों/पैरामेडिकल कर्मचारियों की समर्पित टीम की तैनाती सुनिश्चित करें;

सुनिश्चित करें कि पीवीटीजी से संबधित कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए सभी खर्च संबंधित राज्य सरकार/केंद्र शासित प्रदेश वहन करें;

पीवीजीटी द्वारा बसाए गए मुख्य क्षेत्रों के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों में, जहां भी व्यवहार्य हो, बाहरी लोगों के प्रवेश एवं निकास के लिए सख्त दिशा-निर्देश लागू करें;

जनजातीय प्रमुखों/शिक्षित पीवीटीजी युवाओं/वृद्ध पीवीटीजी महिलाओं/आशा/फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं/पीवीटीजी में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों/स्वयंसेवकों को शामिल करके संवेदीकरण, महामारी जागरूकता और लगातार अनुवर्ती कार्रवाई सुनिश्चित करें;

पीवीटीजी परिवारों के बीच सुरक्षा प्रोटोकॉल, पृथक प्राकृतिक नियंत्रण क्षेत्रों और पीवीटीजी द्वारा जमीनी स्तर पर सामना किए जा रहे शोषण की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए पीवीटीजी परिवारों के बीच मुफ्त सूखे राशन/भोजन की टोकरी की डिलीवरी सुनिश्चित करें;

बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण को हाल्ट/निलंबित मोड में रखते हुए ऐसी सभी खाद्य/राशन-आधारित योजनाओं (केन्द्रीय क्षेत्र की योजनाओं/केन्द्र प्रायोजित योजनाओं/राज्य सरकार की योजनाओं) के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करें;

महामारी के दौरान आय की हानि के लिए आय गांरटी सहायता के रूप में मनरेगा के तहत किए गए भुगतान के बराबर प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से नकद पात्रता और पेंशन वितरण सुनिश्चित करें;

कोविड-19 महामारी के मद्देनजर पीवीटीजी के युवाओं को (मैट्रिक पूर्व और बाद में) स्टेशनरी सहित छात्रवृत्ति का निर्बाध हस्तांतरण सुनिश्चित किया जाए; संबंधित राज्य सरकार/जिला प्रशासन/पंचायत द्वारा जिला नियंत्रण कक्ष में एक विशेष 24x7 हेल्पलाइन बनाई जाए जो विशेष रूप से पीवीटीजी की कोविड-19 संबंधित चिंताओं को दूर करने के लिए समर्पित हो।

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