राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्‍यक्ष न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने कहा कि देश की एकता, अखंडता, संस्कृति और मूल्य व्‍यवस्‍था की रक्षा के लिए आवश्यक है कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए



नई दिल्ली, 25 नवंबर, 2021

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने आज कहा कि हिंदी भाषा और साहित्य ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज आत्‍मावलोकन करने का समय है कि हम अपनी स्वतंत्रता के पचहत्तर वर्षों के बाद अपनी संस्कृति को अपनी भाषाओं के माध्यम से जीवित रखने के मामले में कहाँ जा रहे हैं। वे आज आयोग में हिंदी पखवाड़े के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के 35 विजेताओं को पुरस्कार प्रदान करने के लिए आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे जिसमें उन्‍होंने आयोग के अधिकारियों और कर्मचारियों को राजभाषा में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।



Award distribution of Hindi Pakhwada

अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने कहा कि हमारी एकता, अखंडता और संस्कृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं को जीवित रखना आवश्यक है, जब दुनिया में हर महीने एक भाषा और एक बोली के विलुप्त होने की आशंका है। उन्होंने ज्यादातर अंग्रेजी भाषा पर आधारित इंटरनेट संचार उपकरणों के युग में युवा पीढ़ी में हिंदी की घटती समझ और उपयोग पर चिंता व्यक्त की।

हालाँकि, उन्होंने कहा कि विभिन्न विदेशी भाषाओं को सीखने में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन चिंता की बात यह है कि ये भाषाएँ साथ में अपनी संस्कृति भी लाती हैं, जिसे अगर ध्यान में नहीं रखा गया, तो यह भारतीय संस्कृति और मूल्य व्‍यवस्‍थाओं को नुकसान पहुँचाएगी। इस प्रकार, हिंदी पखवाड़े का उत्सव इस संदर्भ में प्रासंगिक हो जाता है। उन्होंने कहा कि अगर किसी देश का साहित्य उस देश की भाषा में लिखा और प्रचारित नहीं किया जाता है, तो उसकी संस्कृति और रीति-रिवाज खत्म हो जाएंगे। इसलिए, सभी मातृभाषाओं और राष्ट्रीय भाषाओं को बनाए रखने और समृद्ध करने की आवश्यकता है। न्यायमूर्ति मिश्रा ने यह भी कहा कि ऐसे समय में जब बाहर के देश संस्कृत भाषा में भारतीय साहित्य का लाभ उठा रहे हैं, तो यह आवश्यक है कि हम भी अपनी भाषाओं के माध्यम से अपनी संस्कृति की रक्षा करें और दुनिया का मार्गदर्शन करें।



Award distribution of Hindi Pakhwada

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य, न्यायमूर्ति श्री एम. एम. कुमार, श्रीमती ज्योतिका कालरा, डॉ. डी. एम. मुले, श्री राजीव जैन और महासचिव श्री बिंबाधर प्रधान ने भी सभा को संबोधित किया और उन्हें हिंदी में काम करने और हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर आयोग के वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

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