राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा सिविल सोसायटी संगठनों एवं मानव अधिकार संरक्षकों के साथ बैठक में कोविड महामारी से निपटने के लिए एक प्रभावी साझा प्रतिक्रिया प्रणाली को मजबूत करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया (11.05.2021)
नई दिल्ली, 11 मई, 2021
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत ने आज गैर-सरकारी संगठनों, सिविल सोसायटी संगठनों एवं मानव अधिकार संरक्षकों के साथ एक ऑनलाइन बैठक का आयोजन किया ताकि आयोग देश के नागरिकों की पीड़ा को कम करने के लिए अपेक्षित पहल / कदम उठा सके।
इस वर्चुअल बैठक में विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधित्व करने वाले सौ से अधिक प्रतिभागियों, राज्य सरकार के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों तथा राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के महासचिव श्री बिम्बाधर प्रधान ने इस चुनौतीपूर्ण समय में सिविल सोसायटी एवं मानव अधिकार संरक्षकों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने अपील की कि देश में कोविड-19 महामारी जैसे सदी में एक बार आने वाले संकट का सामना करने के लिए हर किसी को मिल-जुलकर काम करना होगा चाहे वह सरकार में हों या सिविल क्षेत्र में हों ताकि एक प्रभावकारी साझा प्रतिक्रिया प्रणाली तैयार की जा सके। यह ऐसी होनी चाहिए जो विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा जमीनी स्तर पर किए जा रहे प्रयासों को मजबूती दे सके। उन्होंने कहा आयोग हमेशा की तरह शासन व्यवस्था एवं नागरिकों के बीच एक सेतु की भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है। इस चर्चा के दौरान तमाम महत्त्वपूर्ण सुझावों में से एक सबसे ज्यादा दोहराया गया सुझाव था कि उन खानाबदोश या असंगठित क्षेत्र के अनौपचारिक श्रमिकों, जो किसी भी निवास स्थान का हिस्सा नहीं हैं, के लिए ऑक्सीजन, बेड की कमी, टीकाकरण कवरेज तथा अन्य स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की कोविड-19 वायरस की दूसरी लहर के कारण होने वाली दुर्दशाओं एवं उनकी चिकित्सा देखभाल तक पहुंच की कमी को मानव अधिकार संरक्षकों द्वारा प्रमुखता से उठाया गया।
यह भी पुरज़ोर सिफारिश की गई कि यही सही समय है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था पर बजटीय आबंटन बढ़ाया जाना चाहिए ताकि देश भविष्य में किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य की आपात स्थिति एवं चुनौतियों का सामना करने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार रहे।
सभी महत्त्वपूर्ण सुझावों को प्राथमिकता पर आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा तथा तत्पश्चात विधिवत अनुमोदित सिफारिशों को आवश्यक कार्रवाई एवं कार्यान्वयन के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकारों को अग्रेषित किया जाएगा।
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