राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने गुजरात सरकार को लाजपोर केन्‍द्रीय कारागार, सूरत में ऑनलाइन सुनवाई के लिए स्वास्थ्य देखभाल और इंटरनेट में सुधार के लिए कहा



नई दिल्ली, 07 सितंबर, 2021

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत ने लाजपोर केंद्रीय कारागार, सूरत में टीबी रोगियों की बड़ी संख्या के मद्देनजर, डीजी, कारागार, गुजरात सरकार से समय पर उपचार प्रदान करने के लिए प्रत्‍येक 6 महीने में टीबी, एचआईवी / एड्स के लिए कैदियों की जांच करवाने और रोग के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए सिफारिश की है। आयोग ने अस्पताल सहित जेल में विभिन्न कर्मियों के स्‍टाफ की संख्या बढ़ाने के अलावा रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरने के लिए भी कहा है।

आयोग ने यह भी सिफारिश की कि सरकार को प्राथमिकता के आधार पर, गंभीर रूप से बीमार रोगियों की सजा कम करने के लिए विचार करना चाहिए। सजा को कम करने के लिए, सरकार को केवल धारा 433 ए सीआरपीसी के तहत आने वाले मामलों के बजाय धारा 433 सीआरपीसी के तहत सभी मामलों पर विचार करना चाहिए।

आयोग के निर्देश आयोग की सदस्या, श्रीमती ज्योतिका कालरा के नेतृत्व में आयोग की टीम के दौरे के बाद आए हैं। जिसमें मिनिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट के मद्देनजर जेल में सुविधाओं का मौके पर मूल्‍यांकन किया गया था, जिसमें यह देखा गया कि पल्मोनरी टीबी के कारण 21 वर्ष की आयु के एक विचाराधीन कैदी की मृत्यु की जांच के दौरान कई कैदियों को टीबी होने और चिकित्‍सा देखभाल की कमी की शिकायतें थी। कैदी 27 अप्रैल, 2019 को जेल में प्रवेश के समय स्वस्थ था और 15 जुलाई, 2020 को उसकी मृत्यु हो गई।

आयोग ने यह भी कहा है कि राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा निर्धारित प्रारूप के अनुसार जेल में प्रवेश या प्रवेश के समय प्रत्‍येक कैदी की प्रारंभिक स्वास्थ्य जांच पर ध्यान दिया जाना चाहिए। प्रारंभिक जांच के समय ईसीजी और मधुमेह परीक्षणों के अलावा, बहु-दवा प्रतिरोधी कैदियों को गैर-दवा प्रतिरोधी कैदियों से अलग रखा जाना चाहिए।

आयोग ने गुजरात उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को जेल से कार्यवाही शुरू करने से पहले हाई स्पीड नेटवर्क सुनिश्चित करने के लिए कहा है और गवाहों से पूछताछ/गवाही के समय कैदियों को जेल से बुलाया जाना चाहिए ताकि वे जिरह में अपने वकील की सहायता कर सकें।

इसके अलावा, मुकदमेबाजी के पक्ष में, जघन्‍य अपराधों के तहत दर्ज अभियुक्‍तों को प्रतिनिधित्व करने के लिए कानूनी/विधिक सेवा प्राधिकरण के वरिष्‍ठ वकीलों को प्रदान करने और लीगल एड वकीलों की सहायता के लिए विधि के छात्रों को शामिल करने की सिफारिश की गई।

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