राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने मुम्‍बई और कोलकाता जेलों में दो कैदियों द्वारा आत्‍महत्‍या के मामलों को गंभीरता से लिया : सचिव, विधिक सेवा प्राधिकरण से महाराष्‍ट्र और पश्चिम बंगाल में जेलों की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी है।



नई दिल्‍ली, 04 अगस्‍त, 2021

राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत ने तलोजा केन्‍द्रीय कारागार, नवी मुम्‍बई और दमदम केन्‍द्रीय सुधार गृह, कोलकाता में दो कैदियों द्वारा आत्‍महत्‍या के कारण हुई मौतों और इन मामलों में आयोग के नोटिस के बावजूद संबंधित अधिकारियों द्वारा अपेक्षित रिपोर्ट प्रस्‍तुत नहीं करने पर गंभीरता से विचार किया है।

इन मामलों से संबंधित कार्यवाही करने के दौरान, आयोग ने पाया है कि घटनाएं महाराष्‍ट्र और पश्चिम बंगाल की जेलों में कुप्रबंधन को प्रकट करती है। जेल नियमावली में प्रलोभन से मुक्‍त वातावरण उपलब्‍ध करने वाले पर्याप्‍त प्रावधान हैं, जो किसी भी कैदी को आत्‍महत्‍या करने का अवसर नहीं देते हैं। यही कारण है कि जेल की कोठरियों में छत के पंखे और हैंगिंग हुक नहीं लगाए जाते हैं।

तलोजा, केन्‍द्रीय कारागार में एक विचाराधीन कैदी द्वारा 27 मई, 2020 को आत्‍महत्‍या की गई, जबकि दमदमा केन्‍द्रीय सुधार गृह, कोलकाता, पश्चिम बंगाल में सिद्धदोष कैदी ने इलाज के दौरान एसएसके अस्‍पताल में 28 अप्रैल, 2020 को आत्‍महत्‍या कर ली।

दोनों मामलों में आयोग ने सचिव, विधिक सेवा प्राधिकरण को क्रमश: मुम्‍बई और कोलकाता के उच्‍च न्‍यायालयों के रजिस्‍टरों के माध्‍यम से महाराष्‍ट्र और पश्चिम बंगाल में जेल परिसरों की स्थितियों, के बारे में 4 सप्‍ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्‍तुत करने के लिए कहा है।

आयोग ने जिला मजिस्‍ट्रेट, रायगढ़, महाराष्‍ट्र और जिला मजिस्‍ट्रेट, कोलकाता को चार सप्‍ताह के भीतर मजिस्‍ट्रेट जांच रिपोर्ट सहित इन दो तात्‍कालिक मामलों में अपेक्षित रिपोर्ट प्रस्‍तुत करने के लिए अंतिम अनुस्‍मारक भी भेजे हैं।

आयोग ने कहा है कि यदि संबंधित अधिकारी रिपोर्ट भेजने में विफल रहते हैं तो आयोग पीएचआर अधिनियम, 1993 की धारा 13 के तहत कठोर कदम उठाने के लिए बाध्‍य होगा।