विभिन्न समुदायों के लोगों के मानव अधिकारों के उल्लंघन के मामलों में राहत के रूप में ₹20.50 लाख की सिफारिश के साथ गुवाहाटी में राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग की "जन-सुनवाई और शिविर बैठक" का समापन।



गुवाहाटी, 17 दिसंबर, 2021

माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा द्वारा गुवाहाटी, असम में 16 से 17 दिसंबर, 2021 तक असम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और सिक्किम राज्यों के संबंध में आयोग के दो दिवसीय शिविर बैठक और सार्वजनिक जन-सुनवाई का उद्घाटन किया गया। सत्र का उद्घाटन करते हुए, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने उपर्युक्त राज्य सरकारों, गैर सरकारी संगठनों, मानव अधिकार संरक्षकों, आदि के प्रतिनिधियों को सूचित किया कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने देश में आम जनता, विशेष रूप से गरीब, वंचित और पिछड़े वर्गों के मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के सभी प्रयासों के लिए अपनी यात्रा में एक लंबा सफर तय किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आयोग का ध्‍यान मानव अधिकारों के मुद्दों जैसे बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों, ट्रांस-जेंडर, मानसिक स्वास्थ्य, सिलिकोसिस आदि पर केंद्रित हैं।

अध्यक्ष ने कहा कि हम ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचना हैं और हमारे पास लोगों के मानव अधिकारों के संरक्षण के बारे में सोचने की भावना है जिसमें भोजन का अधिकार, स्वास्थ्य, शिक्षा, बेहतर पर्यावरण इत्‍यादि शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मानव अधिकारों का उल्लंघन तभी होता है जब उनका सम्मान नहीं किया जाता है। लोक सेवक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य है कि हम लोगों के अधिकारों की रक्षा करें न कि अदालत करें। आयोग तभी हस्‍तक्षेप करता है जब मानव अधिकारों के उल्लंघन की संगीन और गंभीर प्रकृति होती है या जब सरकारी तंत्र अपने कर्तव्यों में विफल रहता है। जब तक हम इसके संवर्धन और संरक्षण के लिए कार्य नहीं करते हैं, तब तक कागजों पर मानव अधिकारों के विभिन्न रूपों का कोई मतलब नहीं है। पुलिस मानव रक्षा के लिए हथियार रखती है, न कि मानव अधिकारों का उल्लंघनकर्ता बनने के लिए। जेल एक आश्रम की तरह होनी चाहिए, जहां कैदियों को सुधारा जाए, ताकि जब वे जेल से बाहर आएं तो जिम्मेदार नागरिक बनें और दोबारा आपराधिक गतिविधियों में लिप्त न हों। राज्य सरकारों का यह कर्तव्य है कि वे समाज सुधार प्रणाली अपनाएं। उन्होंने व्यक्त किया कि उन्हें खुशी है कि सभी राज्य सरकारें लोगों के मानव अधिकारों के लिए जागरुक हैं क्योंकि एक लोक सेवक होने के नाते, हम दूसरों की तुलना में बहुत कुछ कर सकते हैं, चाहे हम एनएचआरसी, एसएचआरसी, गैर सरकारी संगठन, पुलिस या नागरिक समाज के सदस्य हों।

श्री बिम्‍बाधर प्रधान, महासचिव, एनएचआरसी ने माननीय अध्यक्ष, माननीय सदस्यों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए सूचित किया कि एनएचआरसी अपने साथ पंजीकृत विभिन्न मामलों में आयोग द्वारा मांगी गई अपेक्षित रिपोर्ट प्रस्तुत करने की सुविधा के लिए एचआरसी नेट पोर्टल का व्यापक रूप से उपयोग कर रहा है। राज्य के विशिष्ट मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए आयोग द्वारा जारी 23 एडवाइजरी पर सभी पांच राज्य सरकारों से की गई कार्रवाई रिपोर्ट की आवश्यकता पर बल दिया क्योंकि इससे हमें यह आकलन करने में मदद मिलेगी कि राज्य सरकार अपने नागरिकों के मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के प्रति कैसे संवेदनशील है। उन्होंने बताया कि यह एनएचआरसी की 42वीं जन-सुनवाई/शिविर बैठक है और इस तरह के शिविर बैठक के माध्यम से मानव अधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को आर्थिक मुआवजा आदि के रूप में त्‍वरित न्याय दिया जाता है।

श्री जिष्णु बरुआ, मुख्य सचिव, असम सरकार ने एनएचआरसी के माननीय अध्यक्ष, सदस्यों और गुवाहाटी में मौजूद पांच राज्यों के अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए आश्वासन दिया कि विशेष रूप से मानसिक स्वास्थ्य, भोजन के अधिकार और आयोग द्वारा जारी विभिन्न एडवाइजरी और इनके त्वरित कार्यान्वयन के क्षेत्र में एनएचआरसी की सलाह और निर्देश/सिफारिशों का उनके द्वारा पालन किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कुछ महीनों के दौरान राज्य सरकार ने दिव्‍यांगों, विधवाओं और बुजुर्गों को पेंशन जारी करने के संबंध में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। जल, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क आदि के संबंध में भारत सरकार की विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के संबंध में भी प्रभावी कदम उठाए गए हैं।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने जन-सुनवाई में 40 मामलों को लिया है। इनमें असम के 23 मामले, मणिपुर के 13 मामले, अरुणाचल प्रदेश के 1 मामले और नागालैंड के 3 मामले शामिल हैं। आयोग ने रिपोर्टों पर विचार करने और दोनों पक्षों को सुनने के बाद पांच मामलों को बंद कर दिया है, जिनमें राज्यों द्वारा मुआवजे की सिफारिशों का अनुपालन किया गया है।

आयोग ने असम के तिनसुकिया जिले में पुलिस हिरासत में मौत के मामले में मृतक के निकटतम संबंधी को 3,00,000/- रुपये का मुआवजा देने की सिफारिश की है। आयोग ने अरुणाचल प्रदेश के जिला चांगलांग में एक मुठभेड़ में मौत के मामले में 3,00,000/- रुपये की राशि की भी सिफारिश की है। आयोग ने मणिपुर के इंफाल (पूर्वी) जिले में पुलिस हिरासत में मौत के मामले में 5,00,000/- रुपये की राशि की भी सिफारिश की है। इसके अलावा, आयोग ने नागालैंड के मोन जिले में हिरासत में मौत के मामले में मृतक के परिजनों को 4.5 लाख रुपये की राशि का भुगतान करने की सिफारिश की है। आयोग ने एक कर्मचारी जो कार्यस्थल पर विकलांग हो गया था और उसकी सेवा को गुवाहाटी, असम में नियोक्ता द्वारा समाप्त कर दिया गया था, के मामले की सुनवाई के दौरान निर्देश दिया कि उसकी बहाली के लिए विकलांगता अधिनियम के अनुसार वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। साथ ही, उनके वेतन के बकाया भुगतान के लिए निर्देशित किया। आयोग ने असम के चचर जिले के जीआरपी कर्मियों द्वारा एक आदिवासी महिला के साथ बलात्कार के मामले की सुनवाई के दौरान राज्य के अधिकारियों से पीड़िता को 5,00,000/- रुपये का भुगतान करने को कहा है। राज्य के अधिकारियों ने स्‍पष्‍ट किया है कि दोनों दोषी पुलिसकर्मियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। अनुपालन मामलों सहित शेष मामलों में, आयोग ने भुगतान के प्रमाण के साथ अनुपालन रिपोर्ट मांगी है और मामलों पर आगे विचार करने के लिए राज्य के अधिकारियों से ऐसे मामलों में की गई कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का अनुरोध किया है।

आयोग की मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और उनके प्रतिनिधियों और सभी पांच राज्यों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 16 दिसंबर 2021 को दोपहर में एक बैठक भी हुई थी। जहां अधिक प्रभावी तरीके से नागरिकों के मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए सभी के समन्वित प्रयास के लिए उपयोगी एवं सार्थक विचार-विमर्श किया गया।

आयोग ने 17 दिसंबर 2021 को गैर सरकारी संगठनों / मानव अधिकार संरक्षकों और सिविल सोसाइटी के सदस्यों के साथ भी चर्चा की। अपनी बातचीत के दौरान उन्होंने स्वास्थ्य, महिलाओं, बुजुर्गों, बच्चों, केंद्र और राज्य सरकारों की कल्याण और विकासात्मक योजनाओं के कार्यान्वयन से संबंधित मानव अधिकारों के विभिन्न मुद्दों को उठाया। उन्होंने पुनर्वास गृहों के बुनियादी ढांचे, नशीली दवाओं के दुरुपयोग के मुद्दों को भी उठाया। आयोग ने दोहराया कि एनजीओ वास्तव में आयोग की आंख और कान हैं और वे मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के बारे में जागरूकता फैलाने में आयोग के सच्चे भागीदार हैं। आयोग ने उनके काम की सराहना की और इस प्रयास में उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन देते हुए शुभकामनाएं दीं।

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