स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के कोर ग्रुप बैठक में कुष्ठ प्रभावित लोगों और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से प्रभावित लोगों, जिनकी संख्या कोविड-19 महामारी के दौरान और बढ़ गई है, की समस्याओं और अधिकारों पर गंभीर चिंता व्यक्त की ग
नई दिल्ली, 22 दिसंबर, 2021
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने आज नई दिल्ली में अपने परिसर में हाइब्रिड मोड में स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य पर अपने कोर ग्रुप की बैठक आयोजित की। विचार-विमर्श को दो विषयगत सत्रों में विभाजित किया गया था, जिसमें पहला कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों के मानव अधिकारों से संबंधित मुद्दों पर तथा दूसरा मानसिक स्वास्थ्य पर कोविड-19 के प्रभाव और संबंधित मुद्दों पर था।
कुष्ठ से प्रभावित लोगों से संबंधित मुद्दों पर पहले सत्र की अध्यक्षता करते हुए, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा ने कहा कि अभी भी कई भेदभावपूर्ण कानून हैं, उन्हें कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों के मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए नीतियों और प्रणाली द्वारा या तो संशोधन या निरस्त और प्रतिस्थापित करने की आवश्यकता है। उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए उनके सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
चर्चा के बाद जो कुछ अन्य महत्वपूर्ण सुझाव सामने आए, वे इस प्रकार हैं:
1. कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों के लिए संसाधनों की उपलब्धता और पहुंच सुनिश्चित करने की आवश्यकता है;
2. कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों को दवाओं की निरंतर आपूर्ति, बुनियादी सुविधाएं और व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने की आवश्यकता है ताकि उन्हें अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करने के लिए अपना जीवन यापन करने में मदद मिल सके;
3. मानसिक स्वास्थ्य और कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों और उनके परिवारों के पुनर्वास पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है ताकि उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाया जा सके;
4. कुष्ठ रोग के बारे में मिथक को समाप्त करने और इससे पीड़ित लोगों और उनके परिवार के सदस्यों, विशेष रूप से उनके बच्चों के साथ भेदभाव को समाप्त करने के लिए एक सतत अभियान के माध्यम से जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है;
कोविड-19 और मानसिक स्वास्थ्य पर दूसरे सत्र की अध्यक्षता करते हुए न्यायमूर्ति श्री एम. एम. कुमार ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र एक चिंता का विषय बना हुआ है। कोविड-19 महामारी ने मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं को और बढ़ा दिया है। उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारियों द्वारा इस चुनौती से निपटने के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में आयोग द्वारा जारी की गई एडवाइजरी का कार्यान्वयन बहुत उपयोगी होगा।
चर्चा के दौरान कुछ महत्वपूर्ण सुझाव इस प्रकार हैं:
1. राज्यों को मानसिक स्वास्थ्य पर एनएचआरसी की एडवाइजरी पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए;
2. मानसिक स्वास्थ्य और विशेष रूप से जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए बजटीय आवंटन बढ़ाना;
3. मनोरोगियों की देखभाल के लिए समर्पित कर्मचारियों की वृद्धि की जाए तथा उन्हें स्वास्थ्य क्षेत्र में अन्य जिम्मेदारियों न दी जाएं;
4. रिपोर्टिंग में असमानता से बचने के लिए हर जिले में डेटा और उसके तरीकों को बनाए रखने में पारदर्शिता को मानकीकृत किया जाना चाहिए;
5. ओमिक्रॉन की तैयारी पर चिंताओं और कोविड-19 वैक्सीन के लिए बूस्टर खुराक की प्रभावकारिता पर स्पष्टता की कमी पर प्राथमिकता के आधार पर ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि इससे संबंधित मानसिक तनाव से बचा जा सके।
इससे पहले, दोनों विषयगत सत्रों की शुरूआत करते हुए, महासचिव श्री बिम्बाधर प्रधान ने कुष्ठ प्रभावित व्यक्तियों और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों और स्थिति में सुधार के लिए आयोग की चिंताओं से संबंधित मुद्दों की जमीनी हकीकत पर एक संक्षिप्त जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह विमर्श विशेषज्ञों और बुनियादी स्तर पर काम करने वाले लोगों के साथ नीतियों और कार्यान्वयन के बीच की खाई को समझने का एक प्रयास है ताकि आयोग कार्यान्वयन के लिए सरकारों को आवश्यक सिफारिशें भेज सके।
बैठक में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्यों श्रीमती ज्योतिका कालरा, श्री राजीव जैन, संयुक्त सचिव श्रीमती अनीता सिन्हा और श्री एच. सी. चौधरी, विशेष मॉनीटर, श्री अंबुज शर्मा और आयोग के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रतिनिधियों, अलर्ट इंडिया, द लेप्रोसी मिशन ट्रस्ट, द बनियन, निमहंस और एम्स, सिविल सोसाइटी के सदस्य और विषय विशेषज्ञ शामिल हुए।
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