राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष ने हाथ से मैला उठाने और जोखि़म वाली सफाई के व्यापक रूप से जारी रहने पर गंभीर चिंता व्यक्त की; इस खतरे को समाप्त करने के लिए नवीन तकनीकों के कार्यान्वयन का आह्वान किया



नई दिल्ली, 05 जुलाई, 2021

न्यायमूर्ति श्री ए. के. मिश्रा, अध्यक्ष, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने आज हाथ से मैला उठाने की प्रथा को जारी रखने पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसके उन्मूलन के लिए कानूनों और दिशानिर्देशों के बावजूद इस प्रथा का व्यापक रूप से जारी रहना न केवल हमारे संविधान के मूल्यों के खिलाफ है बल्कि कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अधिकारों का भी उल्लंघन करता है। हाथ से मैला उठाना और जोखि़म वाली सफाई अभी भी हमारे देश की एक बदबूदार सच्चाई है।

वे आज आयोग द्वारा आयोजित 'हाथ से मैला उठाने और जोखि़म वाली सफाई' पर विभिन्न हितधारकों के साथ एक ऑनलाइन बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपने दृष्टिकोण में मौलिक बदलाव करें और हाथ से मैला उठाने की अमानवीय, भेदभावपूर्ण और खतरनाक प्रथा को समाप्त करने के लिए अधिक वैज्ञानिक और नवीन तकनीक अपनाएं।

न्‍यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाए गए शौचालयों से हाथ से मैला उठाने की प्रथा को खत्म करने में मदद मिलने की उम्मीद है। लेकिन इनमें भी कई कमियां हैं। राष्ट्रीय वार्षिक ग्रामीण स्वच्छता सर्वेक्षण 2019-20 के अनुसार, सर्वेक्षण किए गए शौचालयों में से केवल 27.3 प्रतिशत में ही डबल लीच पिट है; 1.1 प्रतिशत एक सीवर में चला जाता है जबकि अन्य सभी किसी न किसी रूप में सेप्टिक टैंक या एकल गड्ढों में खाली हो जाते हैं जिन्हें मैन्युअल सफाई की आवश्यकता होती है।

न्यायमूर्ति श्री पी. सी. पंत, सदस्य, एनएचआरसी ने कहा कि हाथ से मैला उठाने वालों के बुनियादी मानव अधिकारों के हनन के रूप में समाज की विषाक्तता को समाप्त करने की आवश्यकता है। बैठक में श्री बिंबाधर प्रधान, महासचिव, श्री आर. के. खंडेलवाल, अपर सचिव, एनएचआरसी तथा आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता, मुंबई के नगर निगमों, नागरिक समाज संगठन के सदस्य और गैर सरकारी संगठन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। ।

बैठक में अन्य बिंदुओं के अलावा निम्‍नलिखित बिन्‍दुओं पर चर्चा की गई:-

• चयनित नगर निगमों (हैदराबाद, चेन्नई आदि) में सर्वोत्तम प्रथाओं को दोहराएं।

• हाथ से मैला उठाने पर मशीनीकरण और प्रौद्योगिकी के प्रभाव का मूल्यांकन

• मौजूदा कमियों को दूर करने के लिए मंत्रालयों द्वारा चलाई जा रही केंद्र प्रायोजित विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम।

राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने कई मौकों पर अपने विभिन्न पत्रों, राष्ट्रीय संगोष्ठियों और क्षेत्रीय कार्यशालाओं के माध्यम से अतीत में हाथ से मैला उठाने की प्रथा के कायम रहने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है और संबंधित हितधारकों से इन खतरनाक प्रथाओं को खत्म करने की दिशा में पर्याप्त कदम उठाने का आग्रह किया है।

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