एनएचआरसी ने अपने कर्मचारियों और इसके आसपास के कार्यालयों के कर्मचारियों हेतु मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता पर कार्यशालाओं की एक श्रृंखला शुरू की; आयोग अन्य कार्यालयों और मंत्रालयों के कर्मचारियों के लिए भी कार्यशालाओं का आयोजन करने की मंशा रखता है।



नई दिल्ली, 01 जून, 2022

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत, जो लंबे समय से देश में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों और प्रणाली की निगरानी कर रहा है, ने मानसिक स्वास्थ्य के बारे में कार्यस्थलों में जागरूकता पैदा करने के लिए विशेष सत्र आयोजित करने का निर्णय लिया है। आयोग ने महसूस किया है कि कोविड-19 महामारी के बाद, मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर तेजी से ध्यान केंद्रित किया गया है, जिसे जागरूकता और समय पर परामर्श, मनोवैज्ञानिक और मनोरोग उपचार द्वारा बेहतर तरीके से निपटा जा सकता है।

इस तरह के सत्रों की प्रस्तावित श्रृंखला में पहले सत्र का उद्घाटन आज एनएचआरसी के सदस्य न्यायमूर्ति श्री एम एम कुमार ने सदस्यों, डॉ डी एम मुले और श्री राजीव जैन और महासचिव श्री डी के सिंह, महानिदेशक, श्री संतोष मेहरा, रजिस्ट्रार (विधि), श्री सुरजीत डे, संयुक्त सचिव, श्रीमती अनीता सिन्हा और श्री एच सी चौधरी और प्रजेंटिंग ऑफिसर, श्रीमती मीनाक्षी शर्मा की उपस्थिति में किया।

सत्र को क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, फोर्टिस हेल्थकेयर की सुश्री मीमांसा सिंह तंवर ने संबोधित किया। उपस्थित लोगों में एनएचआरसी के कर्मचारी और आयोग के आसपास के कार्यालयों में काम करने वाले लोग शामिल थे, जिनमें केंद्रीय सतर्कता आयोग, आयुष मंत्रालय और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के कर्मचारी शामिल थे।

इससे पहले कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए न्यायमूर्ति श्री एम. एम. कुमार ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य कल्याण की स्थिति है जिसमें व्यक्ति बिना तनाव के उत्पादक रूप से काम कर सकता है और समाज की भलाई के लिए सार्थक योगदान दे सकता है। यह महसूस करते हुए कि कोविड-19 महामारी से संबंधित मानसिक तनाव मानवाधिकारों को प्रभावित कर सकते हैं, आयोग ने महामारी की पहली और दूसरी लहर के दौरान मानसिक स्वास्थ्य पर दो परामर्शी जारी की थी और इसे पुलिस और जेल से संबंधित अन्य परामर्शी में भी शामिल किया था। उन्होंने कहा कि बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए काम और जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है।

श्री डी. के. सिंह, महासचिव, एनएचआरसी ने कहा कि इलाज के लिए समय पर हस्तक्षेप करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कलंक को दूर करने की जरूरत है। बेहतर तरीके से जीने, रचनात्‍मकता बढ़ाने, आत्म छवि को बढ़ाने और रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए अपने स्वयं के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को संबोधित करने की सख्त आवश्यकता है।

श्री एच. सी. चौधरी, संयुक्त सचिव, एनएचआरसी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि मानसिक बीमारी वाले लोगों को शुरुआती चरण में मदद लेने और इलाज का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। उन्होंने कहा कि मानसिक बीमारी की चुनौतियों पर विचार करते हुए, भारत सरकार ने गुणवत्ता मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखभाल सेवाओं तक पहुंच में सुधार के लिए एक राष्ट्रीय टेली-मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम स्थापित करने की योजना की भी घोषणा की है।

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