5 जून, 2023 को विश्व पर्यावरण दिवस पर राष्‍ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत के अध्यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा का संदेश



"विश्व पर्यावरण दिवस की बधाई", जिसका मानव अधिकारों से महत्वपूर्ण संबंध है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि सतत विकास पर्यावरण की रक्षा की परिकल्पना करता है, जो मानव अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिकार-आधारित दृष्टिकोण अपनाने से यह सुनिश्चित होता है कि हर प्राणी, अपनी पृष्ठभूमि या परिस्थितियों की परवाह किए बिना, स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण में रह सके।

प्लास्टिक पृथ्वी और समुद्र दोनों पर पर्यावरण प्रदूषण के लिए एक गंभीर खतरा बनकर उभरा है। एक वैश्विक बंधुत्व के रूप में, हमें पर्यावरण प्रदूषण की चुनौतियों से निपटने के लिए एक-दूसरे को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को प्रोत्साहित करना चाहिए। इसलिए, इस वर्ष के विश्व पर्यावरण दिवस की थीम - 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन', बहुत उपयुक्त रूप से हमारे ग्रह पर प्लास्टिक के हानिकारक प्रभावों का मुकाबला करने और एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक सामग्री की जगह वैकल्पिक पर्यावरण के अनुकूल उपयोग को बढ़ावा देने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है, जो मानव जीवन के संरक्षण और अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है। इस संबंध में, प्लास्टिक और अन्य ऐसे प्रदूषकों, जो हमारे पर्यावरण और जलवायु को खतरे में डालते हैं, के प्रसार को रोकने के लिए कठोर नीतिगत निर्णय लेने की आवश्यकता है।

यह एक ज्ञात तथ्य है कि प्लास्टिक का उत्पादन, खपत और निपटान मानव अधिकारों को प्रभावित करता है, जैसे स्वास्थ्य का अधिकार, स्वच्छ पानी, खाद्य सुरक्षा और एक सुरक्षित एवं स्वस्थ वातावरण। प्लास्टिक उत्पादन सुविधाओं या अपशिष्ट निपटान स्थलों के पास रहने वाले समुदायों को अक्सर प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव और पर्यावरणीय गिरावट का सामना करना पड़ता है। प्लास्टिक भूमि की उर्वरता को भी कम करता है। ग्रेट पैसिफिक गारबेज पैच दुनिया के लिए चिंता का विषय है।

एनएचआरसी अपनी परामर्शियों, हस्तक्षेपों और सरकारी अधिकारियों और पर्यावरण पर आयोग के कोर ग्रुप के विशेषज्ञों के साथ परामर्श के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण के अपने प्रयासों में सफल रहा है। आयोग ने "पर्यावरणीय प्रदूषण और मानव अधिकारों पर गिरावट के प्रभावों को रोकने, कम करने और घटाने के लिए केंद्र, राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों को परामर्शी" जारी की है। आयोग देश में जीवन प्रत्याशा को प्रभावित करने वाले उच्च वायु प्रदूषण की रिपोर्टों अन्य राज्यों के अलावा केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के मुख्य सचिवों की भी सुनवाई कर रहा है, ताकि मानव के अस्तित्व के लिए सुरक्षित स्वास्थ्य और परिवेशी वातावरण सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों को कैसे कम किया जाए।

इस लक्ष्‍य को प्राप्त करने के लिए, हमें एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जिसमें एक नागरिक-केंद्रित आंदोलन के रूप में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण के साथ हमारे वनस्पतियों और जीवों और वन भंडार की रक्षा करना शामिल है। हमें सतत उत्पादन, खपत और अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देने की जरूरत है। सरकारों, नागरिक समाज संगठनों और व्यवसायों को प्लास्टिक उत्पादन को कम करने, पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को बढ़ावा देने और पुनर्चक्रण और अपशिष्ट प्रबंधन के बुनियादी ढांचे में सुधार करने के लिए सहयोग करना चाहिए। हमें पर्यावरण संरक्षण के लिए कंपनी अधिनियम की धारा 135 के तहत कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व का प्रभावी ढंग से पालन करना चाहिए।

साथ ही, हमें व्यक्तियों और समुदायों को ज्ञात विकल्प बनाने और कार्रवाई करने के लिए सशक्त बनाना चाहिए। शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रमों द्वारा लोगों को प्लास्टिक फुटप्रिंट को कम करने और इसके विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए ज्ञान और कौशल से लैस कर सकते हैं। जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देकर और स्थायी व्यवहार को प्रोत्साहित करके, हम एक कारगर प्रभाव पैदा कर सकते हैं जो सीमाओं को पार करें और वैश्विक परिवर्तन हेतु प्रेरित करें।

साथ मिलकर, हम स्‍थायी प्रथाओं के लिए प्रयास कर सकते हैं, अधिक मजबूत पर्यावरण संरक्षण की वकालत कर सकते हैं और वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए संसाधनों तक समान पहुंच को बढ़ावा दे सकते हैं।

जय हिन्द!"

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