वृद्धजनों के अधिकारों पर एनएचआरसी, भारत का राष्ट्रीय सम्मेलन कई सुझावों के साथ समपन् हुआ



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली: 18 अक्टूबर, 2024

वृद्धजनों के अधिकारों पर एनएचआरसी, भारत का राष्ट्रीय सम्मेलन कई सुझावों के साथ समपन् हुआ

बढ़ती उम्रदराज़ आबादी सरकार और समाज के लिए अवसर और चुनौतियाँ दोनों प्रस्तुत करती है: एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष, श्रीमती विजया भारती सयानी

हमें अपनी बढ़ती आबादी की क्षमता का उपयोग करना चाहिए तथा व्यापक और समग्र दृष्टिकोण के माध्यम से चुनौतियों का समाधान करना चाहिए: एनएचआरसी महासचिव, श्री भरत लाल

अपने 31वें स्थापना दिवस के अवसर पर आज विज्ञान भवन, नई दिल्ली में 'वृद्धजनों के अधिकार' पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। मुख्य भाषण देते हुए कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती विजया भारती सयानी ने कहा कि बुजुर्ग हमारे देश के इतिहास के निर्माता, हमारी सांस्कृतिक विरासत के रखवाले और हमारे परिवारों के स्तंभ हैं। यह सुनिश्चित करना हमारा नैतिक कर्तव्य है कि उनके अंतिम वर्षों में उनके साथ सम्मान, करुणा और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाए। बढ़ती उम्रदराज़ आबादी सरकार और समाज के लिए अवसर और चुनौतियाँ दोनों प्रस्तुत करती है। आयोग ने बुजुर्गों के अधिकारों के संरक्षण हेतु दृढ़ संकल्प रखते हुए एक कोर समूह का गठन करने और इस संबंध में दिशानिर्देश जारी करने सहित कई कदम उठाए हैं।

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उन्होंने कहा कि वृद्धजनों के सामने चुनौतियां कई गुना हैं। वित्तीय असुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल संबंधी असमानताओं से लेकर सामाजिक अलगाव और भेदभाव तक, उन्हें असंख्य बाधाओं का सामना करना पड़ता है जो उनके जीवन की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती हैं। ये महज़ काल्पनिक परिदृश्य नहीं हैं; ये हमारे समाज में अनगिनत वृद्धजनों द्वारा सामना की जाने वाली वास्तविकताएं हैं। यह एक स्पष्ट अनुस्मारक है कि हमारे बुजुर्गों के अधिकारों की सुरक्षा केवल एक कानूनी या नीतिगत मामला नहीं है; यह एक गंभीर व्यक्तिगत और सामाजिक ज़िम्मेदारी है।

श्रीमती विजया भारती सयानी ने कहा कि वृद्धजनों की जरूरतों को पूरा करने के लिए कानून और कई सरकारी योजनाएं हैं। हालाँकि, उनका प्रभावी कार्यान्वयन एक प्रमुख चुनौती बनी हुई है। उनकी कुछ ज़रूरतें जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है उनमें सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, उनकी मानसिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पहचानना और संबोधित करना, पर्याप्त पेंशन और सामाजिक सुरक्षा लाभ, किफायती और गुणवत्तापूर्ण आवास, सुरक्षा उपाय और सामाजिक सहायता सेवाएं, सूचित वित्तीय निर्णयों के लिए वित्तीय साक्षरता और अर्थव्यवस्था में भागीदारी सुनिश्चित करना शामिल है।

उन्होंने कहा कि रोजगार, आवास और स्वास्थ्य देखभाल सहित जीवन के सभी पहलुओं में वृद्धजनों को उम्र-आधारित भेदभाव से बचाने के लिए भेदभाव-विरोधी कानूनों को मजबूत करना और लागू करना आवश्यक है।

बुजुर्गों के साथ शारीरिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार को रोकने और संबोधित करने के लिए प्रभावी उपायों को लागू करना और यह सुनिश्चित करना कि अपराधियों को जवाबदेह ठहराया जाए, भी महत्वपूर्ण है।

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इससे पहले, एनएचआरसी के महासचिव, श्री भरत लाल ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से, भारत में बड़ों का सम्मान और आदर करने की गहरी परंपरा रही है। उन्हें हमेशा ज्ञान के भंडार के रूप में देखा गया है। हालाँकि, समकालीन भारत में, तेजी से शहरीकरण, वैश्वीकरण और एकल परिवार संरचना के संयोजन ने बुजुर्गों के सामने नई चुनौतियाँ सामने ला दी हैं। यह जरूरी है कि हम समाज में उनकी भलाई, गरिमा और सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए संरचनात्मक, सामाजिक, कानूनी और ढांचागत संरचना की जांच करें।

उन्होंने कहा कि हमें अपनी बढ़ती आबादी की क्षमता का उपयोग करना चाहिए और व्यापक और समग्र दृष्टिकोण के माध्यम से चुनौतियों का समाधान करना चाहिए। उन्होंने बुजुर्गों को समर्थन देने और उनके अनुभवों का उपयोग करने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

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राष्ट्रीय सम्मेलन का विवरण देते हुए संयुक्त सचिव श्री देवेन्द्र कुमार निम ने कहा कि आयोग वृद्धजनों के अधिकारों से संबंधित विभिन्न मुद्दों के समाधान के लिए ठोस प्रयास कर रहा है। सम्मेलन के तीन तकनीकी सत्र जिनमें; 'बुजुर्गों की बढ़तीउम्र', 'बढ़ती उम्र के लैंगिक पहलुओं का विश्लेषण करना एवं उनसे कैसे निपटना है' तथा 'स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य का मूल्यांकन' के मुद्दे को संबोधित करना शामिल हैं, उम्मीद है कि यह नीतियों, उनके कार्यान्वयन, नई चुनौतियों और आगे की राहके बीच अंतराल पर विभिन्न विचारों को प्रज्वलित करेगा।

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'बुजुर्गों की बढ़ती उम्र' के मुद्दे पर पहले विषयगत सत्र की अध्यक्षता करते हुए, सचिव, केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, श्री अमित यादव ने कहा कि सरकार वृद्धजनों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और इस आशय के लिए मौजूदा कानूनों में कुछ आवश्यक बदलाव कर सकती है। अन्य वक्ताओं में श्रीमती छाया शर्मा, विशेष पुलिस आयुक्त, प्रशिक्षण और एसपीयूडब्ल्यूएसी, डॉ. ओपी शर्मा, जराचिकित्सा देखभाल विशेषज्ञ, अपोलो अस्पताल, डॉ. सुधा गोयल, वरिष्ठ सलाहकार, नीति आयोग-स्वास्थ्य और परिवार कल्याण कार्यक्षेत्र, डॉ. टी.वी. शेखर, प्रोफेसर, परिवार और पीढ़ी विभाग, आईआईपीएस, डॉ. माला कपूर शंकरदास, समाजशास्त्री और जेरोन्टोलॉजिस्ट- जेंडर और बढ़ती उम्र, बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार और सामाजिक नीतियां तथा सुश्री अनुपमा दत्ता, वरिष्ठ सलाहकार, हेल्प एज इंडिया फाउंडेशन शामिल थे।

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'बढ़ती उम्र के लैंगिक पहलू' पर दूसरे सत्र की अध्यक्षता करते हुए, यूएनएफपीए इंडिया के रेजिडेंट कंट्री रिप्रजेंटेटिव, सुश्री एंड्रिया एम. वोज्नार ने कहा कि भारत ने अन्य देशों में पेश होने से पहले वृद्धजनों के लिए राष्ट्रीय नीति पेश की थी। हालाँकि, समय और नई चुनौतियों के साथ अंतर-पीढ़ीगत दृष्टिकोण पर अधिक ध्यान देने के साथ इनकी समीक्षा करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी वृद्धजनों की जरूरतों को पूरा करना सुनिश्चित करने का एक तरीका है। अन्य पैनलिस्टों में सुश्री सोनम मिश्रा, उपाध्यक्ष, सुलभ इंटरनेशनल, डॉ. लक्ष्मी गौतम, प्रोफेसर, इंस्टीट्यूट ऑफ ओरिएंटल फिलॉसफी, वृन्दावन और संस्थापक, कनक धारा फाउंडेशन, वृन्दावन, प्रोफेसर आशा कपूर मेहता, अध्यक्ष, सेंटर फॉर जेंडर स्टडीज इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन डेवलपमेंट, श्रीमती दमयंती वी. ताम्बे, वार विडोज़ एसोसिएशन, नई दिल्ली और सुश्री आभा चौधरी, संस्थापक, अनुग्रह शामिल थे।

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने 'स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य: स्वस्थ जीवन, उत्पादकता और सामाजिक सुरक्षा पर प्रभाव' के मूल्यांकन पर तीसरे सत्र की अध्यक्षता की। पैनलिस्टों में अन्य लोगों के अलावा, डॉ. संजय वाधवा, प्रोफेसर और प्रमुख, फिजिकल मेडिसिन विभाग, एम्स डॉ. प्रसून चटर्जी, प्रोफेसर, जराचिकित्सा चिकित्सा विभाग, एम्स शामिल थे।

आयोग देश में देखभाल और कल्याण तंत्र को मजबूत करने के लिए सरकार को अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने के लिए विभिन्न सुझावों पर विचार-विमर्श करेगा।