एनएचआरसी, भारत ने पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और मानव अधिकारों पर गठित अपने कोर सलाहकार समूह की बैठक का आयोजन किया



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली: 17 दिसम्‍बर, 2024

एनएचआरसी, भारत ने पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और मानव अधिकारों पर गठित अपने कोर सलाहकार समूह की बैठक का आयोजन किया

कार्यवाहक अध्यक्ष, श्रीमती विजया भारती सयानी ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में कॉर्पोरेट जवाबदेही की आवश्यकता पर जोर दिया

महासचिव, श्री भरत लाल ने जलवायु परिवर्तन संबंधी चिंताओं से निपटने के लिए निगरानी प्रणालियों को मजबूत करने और सभी हितधारकों द्वारा समन्वित कार्रवाई को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया

विभिन्न सुझावों में, जलवायु परिवर्तन के आयामों को समझने के लिए जिला स्तर पर जलवायु परिवर्तन पर डेटा एकत्र करना और इसके प्रभाव को कम करने के लिए स्थायी समाधानों के साथ विशेषज्ञता विकसित करने के लिए स्थानीय समुदायों के साथ सहयोग करना शामिल है

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने नई दिल्ली में अपने परिसर में हाइब्रिड मोड में 'जलवायु परिवर्तन और मानव अधिकार' विषय पर पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और मानव अधिकार पर गठित कोर सलाहकार समूह की बैठक का आयोजन किया। इसका उद्घाटन करते हुए, एनएचआरसी, भारत की कार्यवाहक अध्यक्ष, श्रीमती विजया भारती सयानी ने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन कमजोर समुदायों, विशेष रूप से आदिवासी लोगों को प्रभावित कर रहा है, जिनकी पारंपरिक आजीविका सीधे पर्यावरण से जुड़ी हुई है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए समाधान खोजने के लिए भारतीय ग्रंथों में निहित प्राचीन ज्ञान पर प्रकाश डाला, जो मानवता और प्रकृति के बीच गहरे संबंधों को रेखांकित करता है।

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उन्होंने आपदा तैयारियों को मजबूत करने और लचीली प्रणालियों को विकसित करने के लिए तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया। व्यवसायों से पर्यावरण और मानव अधिकारों का सम्मान करते हुए टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने का आग्रह करते हुए, उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने में कॉर्पोरेट जवाबदेही की आवश्यकता पर बल दिया।

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इससे पहले, एनएचआरसी, भारत के महासचिव, श्री भरत लाल ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में, मानव अधिकार परिप्रेक्ष्य के साथ जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को संबोधित करने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि जीवन, स्वास्थ्य, भोजन और सभ्य जीवन स्तर जैसे बुनियादी मानव अधिकारों के आनंद के लिए स्वच्छ हवा और पानी के अधिकार सहित एक स्वच्छ, स्वस्थ और कार्यात्मक वातावरण आवश्यक है।

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श्री लाल ने जलवायु परिवर्तन संबंधी चिंताओं से निपटने के लिए निगरानी प्रणालियों को मजबूत करने और सभी हितधारकों द्वारा समन्वित कार्रवाई को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने प्रतिभागियों से ठोस उपाय और कार्रवाई योग्य सुझाव साझा करने का आग्रह किया, ताकि एनएचआरसी सरकार को आवश्यक सिफारिशें प्रस्‍तुत करने में सक्षम हो सके।

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एनएचआरसी के संयुक्त सचिव, श्री देवेन्द्र कुमार निम ने चर्चा के लिए तीन विषयों/सत्रों में विभाजित बैठक का विवरण दिया। ये विषय – स्‍थानीय आबादी पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, खराब मौसम की घटनाएं तथा इनका जीवन और आजीविका पर प्रभाव तथा जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में कॉर्पोरेट की जवाबदेही थे। उन्होंने 8,900 से अधिक मामलों के निपटान सहित पर्यावरणीय क्षरण से संबंधित मानव अधिकार उल्लंघनों को संबोधित करने के लिए एनएचआरसी के चल रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला।

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उन्होंने पर्यावरण प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिए राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को आयोग द्वारा जारी परामर्शी के कार्यान्‍वयन पर भी जोर दिया, जिसके कारण कर्नाटक में विशेष पर्यावरण अदालतों की अधिसूचना जैसे महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।

चर्चा के दौरान कुछ सुझाव इस प्रकार थे:

1. जलवायु परिवर्तन के आयामों को समझने के लिए जिला स्तर पर जलवायु परिवर्तन पर डेटा एकत्र करना और इसके प्रभाव को कम करने के लिए स्थायी समाधानों के साथ विशेषज्ञता विकसित करने के लिए स्थानीय समुदायों के साथ सहयोग करना आवश्यक है;

2. भारत में ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में प्रवास पर जलवायु परिवर्तन के कारणों और प्रभावों पर शोध को बढ़ावा देना;

3. जलवायु जोखिम एटलस बनाने और संभावित प्रभावों को कम करने के लिए जलवायु परिवर्तन की संभावना वाले क्षेत्रों की पहचान करें;

4. "पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996" (पीईएसए अधिनियम) और वन अधिकार अधिनियम (2006) का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करें;

5. शहरी से ग्रामीण क्षेत्रों पर फिर से ध्यान केंद्रित करने के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व विषयों को पर्यावरणीय मुद्दों के साथ फिर से संरेखित करें;

6. शुष्क क्षेत्रों में फसलों के अलावा कृषिवानिकी के लिए 1-लीटर पानी की तकनीक का उपयोग करके वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करें।

जलवायु परिवर्तन से बढ़ी विभिन्न चुनौतियों के समाधान के लिए सरकार को अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देने के लिए आयोग विभिन्न सुझावों पर आगे विचार-विमर्श करेगा।

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वक्ताओं में अन्य लोगों के अलावा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री नीलेश कुमार साह, श्री भरत कुमार शर्मा, सदस्य सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, श्री अमिताभ अग्निहोत्री, एनएचआरसी पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और मानव अधिकार पर विशेष मॉनिटर, श्री सुंदरम वर्मा, पर्यावरणविद्; श्रीमती पेट्रीसिया मुखिम, सामाजिक कार्यकर्ता एवं संपादक, द शिलांग टाइम्स, डॉ. बी.एस. अधिकारी, वैज्ञानिक-जी, भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई), डॉ. पद्मा राव, मुख्य वैज्ञानिक, राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान, श्री राम कुमार अग्रवाल, निदेशक, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग, कर्नल रवीन्द्र यादव, निदेशक, राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण, श्री विनय कुमार (आईएफएस), उप निदेशक, भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, प्रो. एन. एच. रवीन्द्रनाथ, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, आईआईएससी बैंगलोर तथा क्‍लाइमेट एंड सस्‍टैनबिलिटी इनिश्‍यटिव से श्री निरंजन देव भारद्वाज, डॉ. प्रोमोद कांत, श्री हनी करुण एवं श्री इमाद मलिक शामिल थे।

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