एनएचआरसी, भारत ने कर्नाटक के बेंगलुरु में एक सरकारी अस्पताल द्वारा आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) के तहत उपचार से इनकार करने के कारण एक वरिष्ठ नागरिक द्वारा कथित आत्महत्या का स्वतः संज्ञान लिया



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली: 09 जनवरी, 2025

एनएचआरसी, भारत ने कर्नाटक के बेंगलुरु में एक सरकारी अस्पताल द्वारा आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) के तहत उपचार से इनकार करने के कारण एक वरिष्ठ नागरिक द्वारा कथित आत्महत्या का स्वतः संज्ञान लिया

कथित तौर पर, अस्पताल ने इस संबंध में राज्य सरकार के आदेशों की कमी का हवाला दिया

राज्य के अन्य अस्पतालों द्वारा भी वरिष्ठ नागरिकों को एबी पीएम-जेएवाई योजना के तहत उपचार से इनकार करने की सूचना मिली है।

आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव और कर्नाटक सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी

रिपोर्ट में कर्नाटक और अन्य राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों में एबी पीएम-जेएवाई योजना के कार्यान्वयन की वर्तमान स्थिति को शामिल किया जाना अपेक्षित है।

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है, रिपोर्ट के अनुसार 25 दिसंबर, 2024 को 72 वर्षीय एक व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली, क्योंकि कर्नाटक के बेंगलुरु में राज्य सरकार द्वारा संचालित किदवई मेमोरियल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑन्कोलॉजी ने उसे आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) के तहत 5 लाख रुपये का कवर देने से मना कर दिया, जिसके लिए उसने खुद को नामांकित किया था। कथित तौर पर, अस्पताल ने उसे वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली योजना का लाभ देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि इस संबंध में राज्य सरकार के आदेश अभी तक नहीं आए हैं। समाचार रिपोर्ट में वरिष्ठ नागरिकों के लिए एबी पीएम-जेएवाई योजना के लाभार्थियों द्वारा सामना की जा रही समस्याओं से संबंधित कुछ और मामलों का भी उल्लेख किया गया है।

आयोग ने पाया है कि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री, यदि सत्य है, तो यह मानव अधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा है। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) वरिष्ठ नागरिक योजना वरिष्ठ नागरिकों के लिए अच्छी चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तैयार की गई है, खासकर उन लोगों के लिए जो अस्पताल के बिल और विशेष उपचार और दवाओं की लागत वहन करने में सक्षम नहीं हैं। यदि वरिष्ठ नागरिकों को उनके कल्याण के लिए बनाई गई योजना का लाभ नहीं मिल रहा है, तो यह उनके स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन के समान है, जो सम्मान के साथ जीवन जीने के लिए निहित है।

तदनुसार, आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव और कर्नाटक सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर मामले पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में कर्नाटक और अन्य राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएम-जेएवाई) वरिष्ठ नागरिक योजना के कार्यान्वयन की वर्तमान स्थिति शामिल होने की अपेक्षा है।