एनएचआरसी दवारा भारत में घुमंतू, अर्ध-घुमंतू और गैर-अधिसूचित जनजातियों के संरक्षण और भविष्य की योजनाओँ पर ओपन हाउस चर्चा का आयोजन किया गया



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली, 19 जनवरी 2024

एनएचआरसी दवारा भारत में घुमंतू, अर्ध-घुमंतू और गैर-अधिसूचित जनजातियों के संरक्षण और भविष्य की योजनाओँ पर ओपन हाउस चर्चा का आयोजन किया गया

उठाए गए मुद्दों में इडेट आयोग की रिपोर्ट के कार्यान्वयन की आवश्यकता और आदतन अपराधी अधिनियम, 1952 को निरस्त करना शामिल था।

गैर-अधिसूचित समुदायों की समस्याओं पर ठोस प्रयासों और आगे की चर्चा की आवश्यकता ने उनके मानवाधिकारों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर विचार करने पर जोर दिया

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने आज 19 जनवरी, 2024 को अपने परिसर में "भारत में घुमंतू , अर्ध घुमंतू और गैर-अधिसूचित जनजातियों (एनटी, एसएनटी और डीएनटी) की सुरक्षा और भविष्य की योजनाओँ " पर एक ओपन हाउस चर्चा का आयोजन किया। एनएचआरसी, भारत के सदस्य, डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले ने सदस्यों श्री राजीव जैन, श्रीमती विजया भारती सयानी, संयुक्त सचिव श्रीमती अनीता सिन्हा और देवेंद्र कुमार निम की उपस्थिति में चर्चा का उद्घाटन किया।

डॉ. मुले ने कहा कि जीवन का अधिकार, समानता, गरिमा और स्वतंत्रता मानव अधिकारों के चार प्रमुख स्तंभ हैं और प्रत्येक नागरिक उसके बीते हुए समय के आधार पर आंके बिना, आगे बढ़ने और योगदान करने का समान अवसर पाने का हकदार है। उन्होंने कहा कि गैर-अधिसूचित जनजातियों, घुमंतू जनजातियों और अर्ध-घुमंतू जनजातियों को भी आजीविका के उचित साधनों की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि "आपराधिक प्रवृत्ति" वाली गैर-अधिसूचित जनजातियों के बारे में औपनिवेशिक मानसिकता को बदलने की जरूरत है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके मानव अधिकारों का उल्लंघन न हो। उनकी पहचान के उचित दस्तावेजीकरण में तेजी लाने की जरूरत है ताकि उन्हें कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सके और उन्हें बुनियादी जरूरतें प्रदान की जा सकें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विभिन्न हितधारकों को उनके मानव अधिकारों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को सुव्यवस्थित करने के लिए ठोस प्रयासों और चर्चाओं की आवश्यकता है।

इससे पहले, अपने स्वागत भाषण में, एनएचआरसी के संयुक्त सचिव, श्री देवेन्द्र कुमार निम ने कहा कि गैर-अधिसूचित जनजातियों, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियाँ सबसे अधिक उपेक्षित, हाशिए पर और आर्थिक और सामाजिक रूप से वंचित समुदाय हैं। उन्होंने कहा कि गैर-अधिसूचित समुदायों के लिए सबसे गंभीर मुद्दों में से एक नागरिकता दस्तावेजों की कमी है, जो उनकी पहचान को अदृश्य बना देता है और सरकारी लाभ, संवैधानिक और नागरिकता अधिकार प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न करता है।

चर्चा को निम्न तीन तकनीकी विषयों में विभाजित किया गया:

• आपराधिक जनजाति अधिनियम, 1872 और बाद में आदतन अपराधी अधिनियम, 1952 के अधिनियमन द्वारा लगाए गए कलंक के कारण एनटी, एसएनटी और डीएनटी के सामने आने वाली चुनौतियों की पहचान करना और बाद के भेदभावपूर्ण प्रावधानों को संशोधित करने का तरीका निकालना।

• शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य देखभाल और कानूनी दस्तावेजों जैसी बुनियादी सुविधाओं का लाभ उठाने में समुदायों द्वारा सहन की जाने वाली बाधाओं को समझना।

• सभी उजागर चुनौतियों को कम करने के उपाय सुझाना, संसद, सरकारी संस्थानों और उच्च शिक्षा में गैर-अधिसूचित जनजातियों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना और विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के लिए आगे बढ़ने का रास्ता निर्धारित करना।

वक्ताओं द्वारा जिन मुद्दों पर प्रकाश डाला गया उनमें इन समुदायों के लिए एक स्थायी आयोग की स्थापना के लिए इडेट आयोग की रिपोर्ट का कार्यान्वयन,आदतन अपराधी अधिनियम, 1952 को निरस्त करना और यदि नहीं, तो अधिनियम में निर्धारित नोडल अधिकारियों के साथ गैर-अधिसूचित जनजाति समुदाय के एक प्रतिनिधि की नियुक्ति, एससी/एसटी/ओबीसी के तहत डीएनटी/एनटी/एसएनटी को शामिल न करना और कई अन्य बातों के अलावा, पूर्व के लिए विशिष्ट नीतियों का निर्माण शामिल है।

डॉ. मुले ने अपने समापन भाषण में कहा कि आयोग चर्चा में उठाए गए मुद्दों के साथ-साथ गैर-अधिसूचित आदिवासी समुदायों द्वारा सामना की जा रही समस्याओं और चुनौतियों पर प्राप्त विभिन्न अन्य इनपुटों पर भी विचार-विमर्श करेगा और फिर सरकार को उनके मानव अधिकारों में सुधार के लिए आवश्यक सिफारिशें करेगा।

आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा, प्रतिभागियों में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के भारतीय मानव विज्ञान सर्वेक्षण के वरिष्ठ अधिकारी, राष्ट्रीय गैर-अधिसूचित जनजाति एवं घुमंतू जनजाति आयोग, नीति आयोग, गैर-अधिसूचित जनजाति घुमंतू जनजाति विकास परिषद, टीआईएसएस, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, शिक्षाविद, विशेषज्ञ और गैर सरकारी संगठन भी शामिल थे।