एनएचआरसी ने पंजीकृत कारखानों में दुर्घटनाओं में श्रमिकों की उच्च मृत्यु दर और उनके मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किए गए उपायों पर केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया



नई दिल्ली, 2 फरवरी, 2023

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, एनएचआरसी, भारत ने अखबार के एक लेख पर स्वत: संज्ञान लिया है कि श्रम और रोजगार मंत्रालय के कारखाना सलाह सेवा एवं श्रम संस्थान महानिदेशालय (DGFASLI) के आंकड़ों के अनुसार 2017 से 2022 के बीच देश के पंजीकृत कारखानों में दुर्घटना से हर दिन औसतन 3 लोगों की मौत हुई और 11 लोग घायल हुए। कथित तौर पर, 2018 और 2020 के बीच 3331 मौतें दर्ज की गईं, लेकिन कारखाना अधिनियम, 1948 के तहत अपराधों के लिए केवल 14 लोगों को सजा सुनाई गई थी। DGFASLI ने केवल पंजीकृत कारखानों के मुख्य निरीक्षकों तथा औद्योगिक सुरक्षा और स्वास्थ्य के निदेशकों द्वारा उपलब्‍ध कराये गए आंकड़े ही एकत्रित कर प्रस्‍तुत किए, जबकि भारत में 90% श्रमिक अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत हैं। नई व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य संहिता पारित होने के दो साल बाद भी इसका कार्यान्‍वयन किया जाना अभी शेष है।

आयोग का मानना है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए, जैसा कि अखबार के लेख में उजागर किया गया है, कारखानों सहित विभिन्न व्यावसायिक उद्यमों में श्रमिकों के मानवाधिकारों के बारे में गंभीर चिंताएं उजागर करती है। व्यापार और मानव अधिकारों की अवधारणा को उचित महत्व देते हुए कानून के दायरे में नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच संरचना अनुबंधों या अन्य समझौतों के चरण में मानवाधिकार जोखिम को कम किया जा सकता है।

तदनुसार, आयोग ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के श्रम विभाग के सभी मुख्य सचिवों/प्रधान सचिवों को उनके अधिकार क्षेत्र में कारखानों में दुर्घटनाओं के कारण श्रमिकों/कर्मचारियों की मृत्यु/अक्षमता तथा कारखाना अधिनियम, 1948 की धारा 40बी के अनुसार घायलों/मृतकों के निकट परिजनों को दिया गया मुआवजा, नियोक्‍ता/कारखाने के मालिकों के खिलाफ चलाए गए मुकदमें और कारखानों में नियुक्‍त सुरक्षा अधिकारियों की संख्या के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्‍तुत करने नोटिस जारी किया है।

रिपोर्ट में सारणीबद्ध रूप में 2017 से 2022 तक की अवधि के दौरान कारखाना मुख्य निरीक्षक द्वारा मुकदमा चलाने सहित दोषी मालिकों के खिलाफ की गई कार्रवाई की वर्षवार रिपोर्ट शामिल होनी चाहिए। कारखाना अधिनियम, 1948 के विभिन्न प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा किए गए उपायों को भी रिपोर्ट में शामिल किया जाना चाहिए।

केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय के सचिव को भी व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता के कार्यान्वयन के संबंध में की गई कार्रवाई और देश भर में कारखाना श्रमिकों के संबंध में मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार के लिए किए गए/किए जाने वाले उपायों पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए नोटिस भी जारी किया गया है। रिपोर्ट छह सप्ताह के भीतर अपेक्षित है।

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