दिव्‍यांगजनों के पुनर्वास के लिए जिला पुनर्वास केंद्र आवश्यक: एनएचआरसी अध्यक्ष, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

27 जुलाई 2023

दिव्‍यांगजनों के पुनर्वास के लिए जिला पुनर्वास केंद्र आवश्यक: एनएचआरसी अध्यक्ष, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा

सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि और गैर सरकारी संगठन दिव्‍यांगजनों के अधिकारों के लिए बेहतर सामुदायिक जागरूकता और संवेदीकरण प्रयासों को बढ़ा सकते हैं: एनएचआरसी सदस्य, डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले

एनएचआरसी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा ने आज कहा कि दिव्‍यांगजनों के लिए जिला पुनर्वास केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए ताकि वे भी अन्य नागरिकों की भांति अपने मानव अधिकारों का आनंद ले सकें।

img

न्यायमूर्ति मिश्रा ने एनएचआरसी, भारत द्वारा 'दिव्यांगता, समानता, न्याय' (डीईजे) कार्य समूह के तत्वाधान से सी20 के लिए 'दिव्यांगता समावेशन पर आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता की।

img

सिविल -20 (सी 20) G 20 का एक आधिकारिक सहभागिता समूह है, जो G20 सदस्य देशों के नागरिक समाज संगठनों का प्रतिनिधित्व करता है। समूह की स्थापना 2013 में की गई थी और इसका उद्देश्य वैश्विक महत्व के मुद्दों पर G20 नेताओं के साथ जुड़ने के लिए नागरिक समाज संगठनों को एक मंच प्रदान करना है।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि दिव्‍यांगजनों के लिए उचित अवसर आनुपातिक अवसर में नहीं बदलना चाहिए। ऑक्युलर ट्रॉमा (नेत्र आघात) के प्रभाव को रोकने और कम करने से सम्बन्धित एनएचआरसी की परामर्शी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि हितधारकों को पुनर्वास सुविधाओं की स्थापना की दिशा में काम करना चाहिए, खासकर दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए। उन्होंने नागरिक समाज संगठनों और गैर सरकारी संगठनों से भी इन्हें हासिल करने हेतु सहयोग करने का आग्रह किया।

उन्होंने सर्जरी के दौरान गंभीर असमर्थता के मामले में गैर-सूचित सहमति के मुद्दे पर भी चिंता व्यक्त की क्योंकि अधिनियम में गंभीर असमर्थता को परिभाषित नहीं किया गया है।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने एनएचआरसी द्वारा बहुलवाद सुनिश्चित करने पर प्रकाश डालते हुए संवाद में दिव्यांगगजनों की भागीदारी की सराहना की। उन्होंने सभी से सार्थक विचार-विमर्श और सहयोगात्मक प्रयास करने का आग्रह किया ताकि रणनीतियां विकसित की जा सकें और सिफारिशें आगे बढ़ें, जिससे सभी को लाभ हो।

एनएचआरसी सदस्य, डॉ. ज्ञानेश्वर एम. मुले ने आशा व्यक्त की कि 'दिव्यांगता, समानता, न्याय कार्य समूह' दिव्यांगता की आवाज को आगे बढ़ाएगा। नीति संवाद की कार्यवाही का सारांश देते हुए, सदस्य डॉ. मुले ने कहा कि चर्चा प्रासंगिक थी क्योंकि इससे कमियों को पहचाना गया है और बेहतर नीति चर्चा की दिशा में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। उन्होंने गैर सरकारी संगठनों और सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों से एनएचआरसी को ऑनलाइन शिकायतें भेजने के लिए एचआरसी नेट पोर्टल का लाभ उठाने का भी आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि सिविल सोसायटी के प्रतिनिधि और गैर सरकारी संगठन दिव्‍यांगजनों के अधिकारों के लिए बेहतर सामुदायिक जागरूकता और संवेदीकरण प्रयासों को बढ़ा सकते हैं।

एनएचआरसी के महासचिव, श्री भरत लाल ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में दिव्‍यांगजनों के अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण की दिशा में ठोस और सामूहिक प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस तरह के सहयोगात्मक प्रयास और चर्चाएं दिव्‍यांगजनों के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करती हैं।

सुश्री निधि गोयल, समन्वयक डीईजे वर्किंग समूह ने 'वित्तीय समावेशन और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने' पर चर्चा में एक सत्र की अध्यक्षता करते हुए 'दिव्यांगता, समानता, न्याय वर्किंग ग्रुप' के मुख्य निष्कर्ष प्रस्तुत किए। एनएचआरसी के संयुक्त सचिव, श्री डी. के. निम ने कहा कि दिव्‍यांगजनों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए बैंकिंग समाधानों तक समान पहुंच, बीमा और अनुकूल प्रौद्योगिकी तक पहुंच को और बेहतर बनाने की जरूरत है।

एनएचआरसी सदस्य, श्री राजीव जैन, महानिदेशक (अन्वेषण), श्री मनोज यादव, आयोग के वरिष्ठ अधिकारी, दिव्‍यांगजनों पर एनएचआरसी कोर ग्रुप के सदस्यों, नागरिक समाज संगठनों और गैर सरकारी संगठनों ने भी चर्चा में भाग लिया।

*****