मानव अधिकार दिवस पर एनएचआरसी, भारत के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा का संदेश



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

नई दिल्ली, 9 दिसंबर, 2023

मानव अधिकार दिवस पर एनएचआरसी, भारत के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा का संदेश

मानव अधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर हार्दिक बधाई, जिसे संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1948 में मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) को अपनाए जाने के बाद से प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को मनाया जाता है। अब इस ऐतिहासिक दस्तावेज को पूरे विश्व में मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में कार्य करते हुए 75 वर्ष हो गए हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि यह 500 भाषाओं में सबसे अधिक अनुवादित दस्तावेजों में से एक है जो इसके महत्व को दर्शाता है।

हर साल इसका उत्सव मानव अधिकारों के संरक्षण के उद्देश्‍य को और अधिक मजबूती प्रदान करता है तथा मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन में दुनिया भर के लोगों और संगठनों द्वारा किए गए अथक प्रयासों और कड़ी मेहनत को जारी रखने का स्‍मरण कराता है।

मानव अधिकार अपरिहार्य, नैतिक और पूर्व-कानूनी अधिकार हैं। प्रत्येक कानून को उनके अनुपालन की आवश्यकता है। आइए हम यह सुनिश्चित करने का संकल्प लें कि निरंतर बदलती दुनिया में मानवता के सामने विभिन्न चुनौतियों के बीच यह स्थायी वास्तविकता अपरिवर्तित रहे। इस उद्देश्‍य को ध्‍यान में रखते हुए इस वर्ष के मानव अधिकार दिवस की थीम "सभी के लिए गरिमा, स्वतंत्रता और न्याय" है, जो एकदम सटीक है। यह एक ऐसा समाज बनाने के हमारे सामूहिक दायित्व को रेखांकित करता है जो न्यायपूर्ण, समावेशी हो और हर जगह सभी के लिए मानवीय बना रहे।

इस प्रकार, प्रत्येक मनुष्य को सम्मान के साथ जीवन जीने और स्वतंत्र वातावरण में अधिकारों का आनंद लेने का अधिकार है। भारत का संविधान इन मूल्यों को स्पष्ट रूप से आत्मसात करता है। ये राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत के आदर्श वाक्य 'सर्व भवन्तु सुखिन:' अर्थात सभी सुखी रहें, में भी प्रतिबिंबित होते हैं। आइए हम सभी जाति, पंथ, लिंग, भाषा और स्थिति की परवाह किए बिना इस महान उद्देश्य को प्राप्त करने की दिशा में काम करें।

1993 में अपनी स्थापना के बाद से ही आयोग ने समानता, स्वतंत्रता और न्याय के मूल्यों को संजोने का मार्ग प्रशस्त किया है और इसी भावना के साथ केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ नागरिक समाज के सहयोग से शिकायतों के त्वरित निवारण के साथ मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रयास किया है।

एक न्यायपूर्ण और समतापूर्ण समाज के लिए हमारी उत्‍सुकता कभी खत्म न हो.... जय हिंद!