राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत के अध्‍यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा का मानव अधिकार संरक्षकों पर संयुक्त राष्ट्र घोषणा के 25 वर्ष पूरे होने पर संदेश



प्रेस विज्ञप्ति

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत के अध्‍यक्ष, न्यायमूर्ति श्री अरुण मिश्रा का मानव अधिकार संरक्षकों पर संयुक्त राष्ट्र घोषणा के 25 वर्ष पूरे होने पर संदेश

दिनांक: 8 दिसंबर, 2023

25 साल पहले, 9 दिसंबर, 1998 को संयुक्त राष्ट्र ने मानव अधिकार संरक्षकों पर घोषणा को अपनाया था। भारत में मानव अधिकार संरक्षकों की एक समृद्ध विरासत है जो बिना किसी भेदभाव के सभी मनुष्यों के मानव अधिकारों का समर्थन करने और उन्हें बनाए रखने में योगदान देती है। अपनी स्थापना से ही, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ऐसे मानव अधिकार संरक्षकों के साथ मिलकर काम करता है। मैं व्यक्तियों और समुदायों, विशेषकर कमजोर समूहों के अधिकारों के संवर्धन और उनके संरक्षण में उनकी प्रतिबद्धता और समर्पण की ईमानदारी से सराहना करता हूं। उनके अथक प्रयासों ने न केवल सकारात्मक बदलाव लाने में मदद की है, बल्कि मानव अधिकारों पर चर्चा को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

आयोग मानव अधिकार संरक्षकों को अपनी आंख और कान मानता है, और मानव अधिकार मुद्दों के विभिन्न पहलुओं पर लगातार उनके साथ जुड़ता है। यह जानकर खुशी हो रही है कि अधिक से अधिक महिलाएं इस तरह के सार्थक मुद्दे को उठाने और विभिन्न मंचों पर आयोग के साथ बातचीत करने के लिए आगे आ रही हैं। मानव अधिकार संरक्षकों के कोर ग्रुप और ऐसे अन्य समूहों की बैठकों के दौरान, शिविर बैठकों, सम्मेलनों, सेमिनारों आदि के दौरान मानव अधिकार संरक्षकों के साथ बैठक के दौरान वे सार्थक योगदान देते हैं।

मैं सभी मानव अधिकार संरक्षकों विशेषकर महिलाओं को धन्यवाद देता हूं, जो सभी मनुष्यों के मानव अधिकारों को उजागर करने और उनके लिए लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। यौनकर्मियों के मानव अधिकार, यौनकर्मियों के बच्चों के अधिकारों का संररक्षण, समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों की महिलाओं के अधिकार कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिन्हें महिला मानव अधिकार संरक्षकों ने उठाया है। आयोग सदैव उनका स्वागत करता है और उनके साथ खड़ा है। हम महिला मानव अधिकार संरक्षकों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं क्योंकि वे संवेदनशीलता और प्रतिक्रियाशीलता लाती हैं।

आइए, इस दिन हम सभी मनुष्यों के मानव अधिकारों को और बढ़ावा देने और कमजोर समूहों को सशक्त बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करें। साथ मिलकर, हम अपने संवैधानिक मूल्यों यानी सहानुभूति, समानता, न्याय और भाईचारे पर आधारित एक समाज का निर्माण कर रहे हैं।

मानव अधिकारों के लिए आपके निरंतर योगदान के लिए मानव अधिकार संरक्षकों को धन्यवाद देता हूं, और मैं सामूहिक नेक प्रयास में आप सभी की बड़ी सफलता की कामना करता हूं।

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